: १० : आत्मधर्म पोन्नूर यात्रा–अंक
मन लाग्युं रे कुंदकुंद देवमां....
पोन्नूर–तीर्थधामनी अतिशय उमंगभरी यात्रा प्रसंगे माह सुद
१३ना रोज पू. गुरुदेवे भावभीना चित्ते गवडावेलुं कुंदकुंदप्रभुनुं स्तवन
धन्य दिवस धन्य आजनो धन्य धन्य घडी तेह
धन्य समय प्रभु माहरो दरिशण दीठुं आज....
मन लाग्युं रे मारुं मुनिवरा....
मन लाग्युं रे कुंददेवमां...
मन लाग्युं रे मारा नाथमां....
दर्शन–ज्ञान–चारित्रथी साध्यो साधक भाव,
चारित्रदशा आराधीने साध्या चैतन्य राज... मन लाग्युं रे....
सीमंधर देवनां दर्शन करी, हर्षे आव्या नाथ,
भव्यो पर करुणा करी, तार्या तारणहार.... मन लाग्युं रे....
अणमूला शास्त्रो रची, अणमूला भर्या भाव,
चार संघ पर उपकार कर्यो.... थंभाव्यो शासन राह.... मन लाग्युं रे....
(मारा गुरु पर उपकार कर्यो, थंभाव्यो शासन राह.... मन लाग्युं रे....)
रजकण रजकण पावन थया, पावन पोन्नूरगिरि धाम....
–पावन थया वन ने पहाड....
पावन कुंदकुंद विचर्या, धन्य धन्य आ धाम.... मन लाग्युं रे....
धन्य भूमि धन्य धूळने, धन्य हूआ अम भाग्य,
संघ साथे (गुरुवर साथे) दर्शन थया, नीरख्या पवित्र धाम... मन....