Atmadharma magazine - Ank 245
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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पोन्नूर यात्रा–अंक आत्मधर्म : ११ :
तुमसे लगनी लागी.... मुनिवर...
पू. गुरुदेव साथे कुंदकुंदप्रभुना पावन समाधिधाम कुंदाद्रिनी
यात्रा वखते माह सुद त्रीजना रोज कुंदाद्रि पहाड पर पू.
बेनश्रीबेने गवडावेल कुंदकुंदप्रभुनी लगनीनुं भावभीनुं स्तवन.
तुमसे लगनी लागी मुनिवर.... तुमसे लगनी लागी....
कुंदकुंदप्रभुनी समाधिभूमिमां तुमसे लगनी लागी....तुमसे लगनी...
कुंदकुंदप्रभुनी पावन चरणे वन जंगल ऊजियारा....
कुंदकुंदप्रभुना पावनचरणे कुंदनगिरि ऊजियारी...
आ तपोभूमिमां ध्यान ज धरता मुनिवर आतमरामी....
मुनिवर आतमध्यानी प्रभुजी....तुमसे लगनी लागी....तुमसे लगनी...
सीमंधर प्रभुना दर्शन करवा विदेहधाम पधार्या....
अंतरना ए भक्तिभावे साक्षात् प्रभुने भेटया....
साक्षात्प्रभुने भेटया. मुनिवर... तुमसे लगनी लागी.... तुमसे लगनी...
अपूर्व दिव्य ध्वनी सूणीने अद्भुत भावो लाव्या....
शास्त्रोमां ए भाव गूथीने मुक्तिमार्ग बताव्या....
मुक्तिमार्ग बताव्या. मुनिवर.... तुमसे लगनी लागी.... तुमसे लगनी...
मुनिवरा! तुं आतम ध्यानी अजब शक्ति धारी,
लब्धिधारी आतमरामी बहुश्रुतधारी ज्ञानी,
बहुश्रुतधारी ज्ञानी मुनिवर.... तुमसे लगनी लागी.... तुमसे लगनी...
दक्षिणदेशमां कुंदप्रभुनां पावन चरणो सोहे,
कुंदगिरिमां कुंदप्रभुनां पावन चरणो सोहे,
तुज चरणोनां दर्शन करतां गुरुवरनां मन मोहे,
गुरुवरनां मन मोहे.... मुनिवर... तुमसे लगनी लागी.... तुमसे लगनी...