Atmadharma magazine - Ank 246
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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: १२ : आत्मधर्म : प्र. चैत्र:
पोतामां प्रणमी रह्या छे; तेनो बराबर विचार करवो. शरीरनुं थवानुं हशे ते
थया करशे. आत्मानुं स्मरण करवुं. भावना सारी राखवी. रोग तो अनेक जातना
आवे सनतकुमार चक्रवर्ती जेवानेय केवा रोग आव्या हता! पण आत्मामां रोग क्यां
छे? रोग परद्रव्य छे. मारो आत्मा चैतन्य छे, ज्ञान–आनंदनो पिंड छे––एवुं रटण
करवुं. आ तो विचारमनन करवानुं टाणुं छे, तेनो प्रयत्न करवो.
आत्मा पुण्य–पापथी भिन्न ने देहथी भिन्न एकलो चैतन्यकंद आनंदधाम छे.
बस, एकलो.. एना ज विचार, विचार ने विचार ‘कर विचार तो पाम! ’
भेदज्ञानना प्रयोग करवाना टाणां आव्या छे. जेम कसरत करे छे ने! तेम
आमां आत्मा ने शरीरना जुदापणानी कसरत करवाना टाणां आव्या; कह्युं छे ने के––
जेटला सिद्ध थया छे ते बधाय भेदज्ञानथी ज, एटले के रागथी भिन्नता ने चैतन्य
साथे एकता करीने ज सिद्ध थया छे. ––एना अभ्यासना आ टाणा आव्या छे.
शरीर अने आत्मा अत्यंत जुदा, एक–बीजाने अडता पण नथी. आ शरीर तो
माटीनुं कलेवर ने भगवान आत्मा अमृतनो पिंड. अमृतस्वरूप चैतन्यघन भगवान
आत्मा पोताने भूलीने मृतककलेवरमां मूर्छाणो! ––एम स. गा. ९६ मां आचार्यदेवे
आ शरीरने (अत्यारे ज) मृतककलेवर कह्युं छे.
अरे, आ तो निवृत्ति मळी छे. विशेष स्वाध्याय–विचारनुंं टाणुं छे. अरे, आ
तो शुं व्याधि छे? –नरकनी पीडा तो केटली? –छतां त्यां पण विचार करीने जीवो
आत्मानुं भान पामे छे. भगवान आत्मा चैतन्यमंदिर छे––तेना विचारमां कोण
रोकनार छे?
शरीरमां तो बधा पडखेथी व्याधिए घेरो घाल्यो होय, अरे, पण आ बीजी
बाजु आखो आत्मा बेठो छे ने? ––ए शुद्ध ज्ञान–आनंदना चैतन्यसामर्थ्यथी भरेलो–
मोटो वाघ जेवो––ते बकरांने भगाडी मुके. एनी सामे जोतां ज आ व्याधिनुं लक्ष
भूलाई जाय. ––आवा तो कंईक रोग आवे ने जाय, तेनाथी जुदुं पोतानुं सामर्थ्य
राखीने भगवान आत्मा अंदर बेठो छे. –एना विचार करवा.
शरीर तो अचेतन–पुद्गलनो पिंड छे;
हुं तेनो कर्ता के आधार नथी;
तेनो मने पक्षपात नथी;
तेनुं थवुं होय ते थाओ...
हुं तो मारामां मध्यस्थ छुं.
आस्रवने तोडी पाडनारो आ धनुर्धर–सम्यग्द्रष्टिबाणावळी भेदज्ञानना टंकार
करतो फडाक–फडाक देह–मन–वाणीने अने रागने भेदीने आत्माथी भिन्न करे छे. ––
आवा भेदज्ञाननो वारंवार विचार करवो. धनुषना टंकार करतो भगवान आत्मा
जाग्यो त्यां राग भाग्यो... देह तो क््यांय बहार रही गयो! देह चीज ज जुदी छे; तेने
ने तारे शुं संबंध छे?
शरीर नबळुं पडतुं जाय छे पण आत्मामां सबळाई राखवी. आत्मामां
सबळाई छे तेनो