Atmadharma magazine - Ank 246
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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: प्र. चैत्र : आत्मधर्म : २१ :
जेटले अंशे शुद्धता छे तेटले अंशे मोक्षनुं साधन छे, ने जेटले अंशे अशुद्धता छे
ते मोक्षनुं कारण नथी. बंने भावो एकबीजाथी विपरीत छे, छतां एक ज पर्यायमां
बंने भावो छे. तेमां जे शुद्धता छे तेनी साथे तो समकितीने एकत्वपरिणमन छे,
ने जे अशुद्धता छे तेनी साथे एकत्वपरिणमन नथी ते अपेक्षाए समकिती
तेनाथी मुक्त छे.
हवे शुद्धता ते निश्चय, ने अशुद्धता ते व्यवहार–एम होवाथी समकिती
निश्चयमां लीन छे अने व्यवहारथी मुक्त छे. शुद्धतामां तो उपादेयपणे वर्ते छे ने
अशुद्धताने हेयपणे जाणे छे.
एक ज समयनी पर्यायमां अंशे शुद्धता ने अंशे अशुद्धता बंने एक साथे छे.
घणाने एम थाय छे के एक ज समयमां बे भावो कई रीते होय? पण, चारित्रनी
पर्यायमां एवा बे प्रकार एक साथे होय छे. ज्ञाननी पर्यायमां एकसाथे बे उपयोग न
होय, पण चारित्रनी पर्यायमां अंशे शुद्धता ने अंशे अशुद्धता बंने एक साथे साधकने
होय छे. जो अंशे शुद्धता न होय तो साधकपणुं शेनुं? ने जो अंशे अशुद्धता ज होय तो
पण साधकपणुं केम होय? जो अंशेय शुद्धता न होय ने एकली अशुद्धता ज होय तो
तो मिथ्याद्रष्टिपणुं होय, अने जो अंशेय अशुद्धता न होय ने पूर्ण शुद्धता ज होय तो
तो सिद्धदशा होय. माटे साधकने तो अंशे शुद्धता पण होय छे ने अंशे अशुद्धता पण
होय छे.
–पण तेमां विशेषता ए छे के जे शुद्धता छे ते मोक्षमार्ग छे, ते निश्चय छे, ने
समकिती तेमां लीन छे; अने जे अशुद्धता छे ते मोक्षमार्ग नथी, तेने व्यवहार कहीने
अभूतार्थ कह्यो छे, ने समकिती तेमां लीन नथी, तेनाथी जुदो छे, तेनाथी मुक्त छे.
आम एक ज परिणतिमां भिन्न भिन्न भावोने यथार्थ ओळखवा ते भेदज्ञान छे.
अरे जीव! क्या भावो तने शरण छे ने क्यां भावो अशरण छे–तेना ज्ञान
वगर तुं अनादि काळथी संसारमां रखडयो. संसारमां रखडतां तने हजी थाक न
लाग्यो? भाई, शरणभूत तो शुद्धआत्मा छे; अने ते शुद्धआत्माने देखनारो शुद्धनय
भूतार्थ छे, ते शुद्धनयपरिणति शुद्धआत्मा साथे एकाकार थई तेनी तेने पण भूतार्थ
कही दीधी छे. अने एना आश्रये सम्यग्दर्शनादि छे. अशुद्धता ते शरणरूप नथी. ते
अशुद्धताने देखनारो व्यवहारनय अभूतार्थ छे, अशरण छे, तेना आश्रये
सम्यग्दर्शनादि नथी.
यथार्थ मोक्षमार्गनुं जेवुं स्वरूप छे तेवुं ज निश्चयनय निरूपण करे छे; व्यवहारनय
तो निमित्त वगेरेनी भेळसेळ सहित निरूपण करे छे, ते यथार्थ मोक्षमार्ग नथी.