Atmadharma magazine - Ank 246
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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: प्र. चैत्र : आत्मधर्म : ३१ :
पर्यायमा जे रागद्वेष–मोह छे ते व्यवहारथी जीवना ज छे; शुद्धनिश्चयथी
चैतन्यस्वभावथी भिन्न बतावता भले तेने जड कह्या, पण तेनुं अस्तित्व कांई जडनी
पर्यायमां नथी. जीवनी पर्यायमां तेनुं अस्तित्व छे. जो ते रागद्वेष–मोह जीवनी
पर्यायमा न होयने जडना ज होय, तो ते रागादिथी जीवने बंधन केम थाय? अने जो
रागादिथी पण बंधन न थतुं होय तो पछी वीतरागताने ने मोक्षमार्गनो उपदेश देवानुं
के तेनो उद्यम करवानुं क्यां रह्युं? माटे पर्यायमां जे रागादि छे ते व्यवहारथी जीवना ज
छे ने तेनाथी कर्मबंधन थाय छे–एम जाणवुं जोईए, ने भूतार्थस्वभावना आश्रय वडे
तेना नाशनो उद्यम करवो जोईए.
(स. गा. ४६ उपरना प्रवचनमांथी)
अजमेरनी दि. जैन भजनमंडळीना प्रसिद्ध गायक, अने श्री मोहनलालजी
वोहराना सुपुत्र श्री शांतिलालजी वोरा अजमेरमां ता. १७–३–६४ना रोज टूंकी
बिमारीथी अकस्मात स्वर्गवास पाम्या.... तेमनी उपर मात्र ३६ वर्षनी हती तेओ
भजनमंडळीना एक मुख्य गायक हता, अने सोनगढमां तेमज सौराष्ट्रना अनेक
गामोमां तेओ अनेकवार आवी गयेला छे. तेमना मधुर भजनो सौने प्रिय लागता.
आवी नानी उंमरमां तेमना स्वर्गवासथी तेमना कुटुंबने तेमज भजनमंडळीने न पुराय
तेवी खोट पडी छे. आ प्रसंग वैराग्यप्रेरक छे. भाई शांतिलालजीनो आत्मा भगवान
जिनेन्द्रदेवनी भक्तिमां आगळ वधी तत्त्वज्ञानवडे आत्महित साधे–ए ज भावना.
मोक्षशास्र–गुजराती टीका–संग्रहनी नवी आवृत्ति (त्रीजी आवृत्ति) छपाई गई
छे. पृष्ठ ९१५ किंमत रू. ४=०० (चार रूपीआ) पोस्टेज अलग.
प्राप्तिसथान:– जैन स्वाध्याय मंदिर, सोनगढ (सौराष्ट्र)