
त्यां बहु देव–देवी आवे रे...चैतर तेरस अजवाळी...
जीवो धर्मनी तैयारीवाळा थाय त्यां तीर्थंकर जेवा महात्त्मा पण पाके. कांई जगतना
उद्धार खातर कोई परमात्मा नवो अवतार धारण करता नथी, पण परमात्मपदनो
साधक कोई विशिष्ट आत्मा उन्नतिक्रममां आगळ वधतो वधतो पोते परमात्मा थाय छे,
ने तेना निमित्ते अनेक जीवो पण भवथी तरे छे.
सोंपता प्रार्थना करे छे के हे माता!
माता जतन करीने राखजो...तम पुत्र अम आधार रे...
माता! आपने पण अमे नमस्कार करीए छीए. भगवाननी माता पण एकभवे मोक्ष
पामनारी छे, इन्द्र–इन्द्राणी पण एक भवतारी छे, त्यांथी मनुष्य थईने मोक्ष जवाना
छे. एवा इन्द्र वगेरे पण परम भक्तिथी भगवानना जन्मनो महोत्सव करे छे. एवा
भगवाननो जन्मदिवस आजे छे.
चडी, केवळज्ञान प्रगट करी परमात्मा थया, अरिहंत थया...ने पछी समजपणे, इच्छा
वगर, जगतना भव्यजीवोना महान भाग्ये, भगवाननी दिव्यवाणी छूटी,...ते सांभळीने
घणा जीवो धर्म पाम्या....