
विदेहदेशमां बिराजे छे तेमनो संदेश छे, कुंदकुंदाचार्यदेव त्यां जइने भगवाननो
संदेशो लाव्या छे, भगवाननो कागळ लाग्या छे. तेमां भगवाननो एवो संदेशो छे
के–हे जीव! ज्ञानानंद स्वभावी आत्मा छे, जेवो अमारो आत्मा छे तेवो ज तारो
आत्मा छे. ए शुद्ध द्रव्यगुणपयार्यपणे तारा आत्माने ओळख तो तने सम्यग्दर्शन
थाय अने तारा मोहनो क्षय थइ जाय! अमे ए रीते मोहनो क्षय कर्यो छे ने ए
रीते मोहक्षय करीने तुं पण अमारा पंथे अमारा देशमां चाल्यो आव! आम
भगवानना संदेश आव्या छे (आम भगवानना तेडा आव्या छे)
सम्यक्दर्शनज्ञानचारित्र छे, माटे तेनो आश्रय करो एवो भगवाननो संदेश छे. ते ज
जैनसन्देश छे.
छे के हे सिद्धभगवंतो! मारी मुक्तिना मंगल प्रसंगे
मारा आंगणे मारा चैतन्यमंडपमां पधारो...आपना
पधारवाथी मारा मंडपनी (–मारा श्रद्धा–ज्ञाननी)
शोभा वधशे.