
करे? धर्मी जीव विकल्पने केम धारण करे? धर्मी जीव तो शुद्ध उपयोगरूप पोताना धर्मने
ज धारण करे छे, ने ते ज धर्मीनुं चिह्न छे.
ओळखाय छे. आ आम बोले छे, आम खाय छे, एम जुए पण तेमनी अंतरनी द्रष्टि
अने परिणति शुं छे तेने न ओळखे तो धर्मीनी ओळखाण थती नथी.
द्रव्यलिंग तरीके नियमथी नग्नदशा ज होय ने पंचमहाव्रत ज होय,–एवो ज
व्यवहार होय, पण ते व्यवहार कांइ धर्मीनुं चिह्न नथी, ते व्यवहार छे माटे
मुनिदशा छे–एम नथी. मुनिदशा ते व्यवहारना आश्रये नथी प्रगटी, मुनिदशा तो
चैतन्यना परमार्थस्वरूपमां लीनताथी ज प्रगटी छे. एटले विकल्प के देहनी दशारूप
लिंगथी धर्मीनुं ग्रहण एटले के धर्मीनी ओळखाण थाय नहीं. “आ आत्मा
निर्मळदशारूपे परिणम्यो छे”–एम विकल्प उपरथी के तेनी देहनी क्रिया उपरथी
नक्की थइ शकतुं नथी, पण तेनी अंतरंग निर्मळ परिणतिरूप चिह्ननी ओळखाण
वडे ज ते नक्की थइ शके छे.
अनुभवना रहस्य जगत पासे खुल्ला मुकीने संतोए महा उपकार कर्यो छे; तेमांय आ
अलिंगग्रहणना २० बोलनुं वर्णन करीने तो कमाल करी छे.
आत्मानुं ज्ञान थतुं नथी. आत्मामां अनंतगुण छे खरा, पण गुणोना भेद पाडीने
लक्षमां लेवा जाय तो आत्मा अनुभवमां आवतो नथी;–केमके चैतन्यमूर्ति शुद्ध आत्मा
गुणभेदना विकल्पने स्पर्शतो नथी.
स्वज्ञेय थतो