Atmadharma magazine - Ank 247
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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हीरो हिन्दुस्ताननो
(रागः एक अद्भुत वाणीयो)
स्वानुभूतिथी झळके छे. निज चैतन्य तेजे चमके छे,
देखाडे छे संत, – ए छे हीरो हीन्दुस्ताननो...
आ भानु भारतदेशनो...
‘सुवर्ण’मां ए जडीयो छे, भारतमां ए झळक्यो छे,
जिन मार्गनो प्रकाशक छे, ए हीरलो हीन्दुस्ताननो...
ज्यां सीमंधर –संस्कार छे, ज्यां वीर प्रभुनी हाक छे.
ज्यां कुंदप्रभुना तेज छे, ए हीरलो हीन्दुस्ताननो...
‘सप्त’ तत्त्वनो जाण छे, ‘पंच’ परमेष्ठीनो दास छे,
जगतथी उदास छे, ए हीरलो हिन्दुस्ताननो...
जेना आतमतेज अपार छे, कोहीनूर झंखवाय छे,
मोह अंधारा भागे छे, आ हीरलो हिन्दुस्ताननो...
श्रुतना दरिया मथी मथी, जे सम्यक् रत्नो काढे छे,
अमृत पान करावे छे, आ हीरलो हिन्दुस्ताननो...
हीरक उत्सव शोभतो, त्यां वागे मंगल नोबतो
मुमुक्षु हैडे दीपतो, आ हीरलो हिन्दुस्ताननो...
श्रद्धानां ज्यां नूर छे, श्रुततरंग भरपूर छे,
‘हीरो’ कहे जयवंत छे, आ हीरलो हिन्दुस्ताननो...
आ भानु भारतदेशनो...