
सर्वज्ञ प्रत्यक्ष देखाता नथी; जेम गधेडाना शिंगडा देखातां नथी तेम सर्वज्ञ देखाता
नथी माटे सर्वज्ञ नथी–आम नास्तिक कुतर्क करे छे. तमे तो कहो छो के अनंता सर्वज्ञो
छे, एकेक जीवमां सर्वज्ञ थवानुं सामर्थ्य छे, अत्यारे महाविदेहमां सीमंधर भगवान
वगेरे सर्वज्ञ भगवंतो बिराजे छे. पण अमने तो सर्वज्ञ देखाता नथी.
आ काळे आ क्षेेत्रे सर्वज्ञ नथी ए तो बराबर छे, पण जगतमां क्यांय सर्वज्ञ नथी
एम जो तुं कहेतो हो तो शुं तें त्रण लोकने अने त्रण काळने जोया छे? बधुं क्षेत्र जोया
विना “अहीं सर्वज्ञ नथी” एम कही शकाय नहीं एटले बधा क्षेत्रमां ने बधा काळमां
सर्वज्ञ नथी एम कहेतां तुं ज त्रण काळ ने त्रण लोकनो जाणनार थइ गयो एटले
सर्वज्ञनी सिद्धि थइ गइ.
नथी. जेम “अमुक जग्याए घडो नथी” एम क्यारे कहेवाय? के ज्यारे ते क्षेत्र जोयुं
होय त्यारे; तेम “सर्वज्ञ नथी” एम क्यारे तुं कही शके? के तें बधु क्षेत्र जोयुं होय तो.
एटले तेमां सर्वज्ञ सिद्ध थइ जाय छे. पोते जे क्षेत्र जोयुं न होय ते क्षेत्रमां “अहीं घट
नथी” अथवा अहीं सर्वज्ञ नथी” एम निषेध करी शकाय नहि.
विश्वास कराय नहि.
नहि. तेमज