Atmadharma magazine - Ank 247
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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श्री कानजीस्वामी–हीरकजयंती–अभिनंदन–अंक
ः ४८ः वैशाख सुद २
नास्तिक कहे छे केः–आ जगतमां सर्वज्ञ छे ज नहि एटले के कोइ आत्मा त्रण
काळ त्रण लोकने जाणी शके एवा ज्ञानवाळो होय–एम अमने भासतुं नथी; केमके
सर्वज्ञ प्रत्यक्ष देखाता नथी; जेम गधेडाना शिंगडा देखातां नथी तेम सर्वज्ञ देखाता
नथी माटे सर्वज्ञ नथी–आम नास्तिक कुतर्क करे छे. तमे तो कहो छो के अनंता सर्वज्ञो
छे, एकेक जीवमां सर्वज्ञ थवानुं सामर्थ्य छे, अत्यारे महाविदेहमां सीमंधर भगवान
वगेरे सर्वज्ञ भगवंतो बिराजे छे. पण अमने तो सर्वज्ञ देखाता नथी.
तो तेने अमे पूछीए छीए के हे भाई! सर्वज्ञ नथी एम तुं कइ रीते कहे छे? शुं
आ काळमां ने आ क्षेत्रमां ज सर्वज्ञ नथी? के सर्व काळमां ने सर्व क्षेत्रमां सर्वज्ञ नथी?
आ काळे आ क्षेेत्रे सर्वज्ञ नथी ए तो बराबर छे, पण जगतमां क्यांय सर्वज्ञ नथी
एम जो तुं कहेतो हो तो शुं तें त्रण लोकने अने त्रण काळने जोया छे? बधुं क्षेत्र जोया
विना “अहीं सर्वज्ञ नथी” एम कही शकाय नहीं एटले बधा क्षेत्रमां ने बधा काळमां
सर्वज्ञ नथी एम कहेतां तुं ज त्रण काळ ने त्रण लोकनो जाणनार थइ गयो एटले
सर्वज्ञनी सिद्धि थइ गइ.
वळी गधेडांनां शींगडां नथी, पण भेंस वगेरेने तो शींगडां छे ने? तेम आ
क्षेत्रमां सर्वज्ञ नथी, पण पंच विदेहक्षेत्रमां तो सर्वज्ञ छे, माटे सर्वज्ञनो सर्वथा अभाव
नथी. जेम “अमुक जग्याए घडो नथी” एम क्यारे कहेवाय? के ज्यारे ते क्षेत्र जोयुं
होय त्यारे; तेम “सर्वज्ञ नथी” एम क्यारे तुं कही शके? के तें बधु क्षेत्र जोयुं होय तो.
एटले तेमां सर्वज्ञ सिद्ध थइ जाय छे. पोते जे क्षेत्र जोयुं न होय ते क्षेत्रमां “अहीं घट
नथी” अथवा अहीं सर्वज्ञ नथी” एम निषेध करी शकाय नहि.
जे सर्वज्ञ होय ते सर्वज्ञनो निषेध करी शके नहि; अने जेणे सर्व काळ सर्व लोक
जोया न होय ते सर्वज्ञनो निषेध करी शके नहि. देखतो ना पाडे नहि ने आंधळानो
विश्वास कराय नहि.
बीजी वातः तुं कहे छे के “अमने सर्वज्ञ देखाता नथी” पण भाई! तुं तो
आवती कालनी वात पण जाणी शकतो नथी, तो शुं तेथी आवती कालनो अभाव छे?
नहि. तेमज