
अमारा चित्तना भावने के एक सूक्ष्म परमाणुने पण तुं जाणी शकतो नथी, तो
शुं अमारा चित्तनो के परमाणुनो अभाव छे? नहि ज. तेम सर्वज्ञ तने तारा
स्थूळ ज्ञानमां न जणाय तेथी कांइ सर्वज्ञनो अभाव सिद्ध थतो नथी.
तो कहे छे केः–अमे अमारा ज्ञानना अंश उपरथी सर्वज्ञनुं अनुमान करीए
आत्मामां एकाग्र थइ रहेतां राग द्वेष छूटीने पूर्णज्ञान पण प्रगटी शके छे–एम अमारूं
अनुमान छे अने जे अनुमान छे ते बीजा कोइने प्रत्यक्ष पण जरूर वर्ते छे. वळी
सर्वज्ञना बाधकप्रमाणनो अभाव छे.
अवलंबने पूर्ण ज्ञान प्रगटतां सर्वज्ञता प्रगटे छे एम स्वभावनी प्रतीतपूर्वक सर्वज्ञनुं
अनुमान थाय छे.
पूर्णानंदमय सर्वज्ञदशा प्रगटे छे. ज्ञान तरफ एकाग्र थतां ज्ञान खीले छे, ने पूर्ण एकाग्र
थतां पूरूं ज्ञान पण खीले छे. जुओ! आमां सर्वज्ञने सिद्ध करतां मोक्षमार्ग पण भेगो ज
आवी जाय छे.
सर्वज्ञ स्वभाव कबूलवो पडशे. सर्वज्ञता क्यांय बहारथी आवती नथी. पर्यायने
अंतरमां एकाग्र करतां अल्पज्ञतामांथी सर्वज्ञता थइ जाय छे. तारो
आत्मकल्याणनो मार्ग निमित्त अने राग रहित एकला ध्रुव स्वभावमां
परिणतिने एकाग्र करवी ते ज छे. एम कहेनारा सर्वज्ञ देव ते ज देव छे, एम
कहेनारा गुरु ते ज साचा गुरु छे ने एम बतावनारी वाणी ते ज शास्त्र छे. आ
सिवाय बीजाने माने तो व्यवहार खोटो छे अने बहारना अवलंबनमां धर्म माने
ते मूढ छे.