
पण आवतीकाल आवशे त्यारे ते वखतना माणसो तो तेने प्रत्यक्ष जोशेने? तेम
आ क्षेत्रे सर्वज्ञ नथी पण महाविदेह वगेरे क्षेत्रे सर्वज्ञ छे एम अनुमानथी नक्की
थइ शके छे. अने अहीं जे अनुमानथी नक्की थइ शके ते त्यांना लोकोने तो प्रत्यक्ष
छे. आ रीते सर्वज्ञनी सिद्धि छे. सर्वज्ञने नक्की करवामां निश्चयथी तो पोतानो
स्वभाव नक्की करवानो छे के मारो स्वभाव आवो पूर्ण छे–एम स्वभाव सन्मुख
थतां पर्यायनो अपूर्व पलटो थइ जाय छे....ने आत्मा आनंदपूर्वक सिद्धना मार्गे
संचरे छे.
उमळको आवे छेः अहा! आ धर्मात्मा चैतन्यने केवा
साधी रह्या छे! एम तेने प्रमोद आवे छे, अने हुं पण
आ रीते चैतन्यने साधुं–एम तेने आराधनानो उत्साह
जागे छे. चैतन्यने साधवामां हेतुभूत एवा संतगुरुओने
पण ते आत्मार्थी जीव सर्व प्रकारनी सेवाथी राजानी जेम
रीझवे छे ने संत–गुरुओ तेना उपर प्रसन्न थइने तेने
आत्मप्राप्ति करावे छे.