
करवा गयो त्यारे प्रसंग विचारी आचार्ये संघने मौनधारणनी आज्ञा करी. तेमां
संघरक्षानुं वात्सल्य देखाइ आवे छे. बे मुनिओए मंत्रीओने वादविवादमां मौन करी
दीधा, तेथी ते दुष्ट मंत्रीओ रात्रे मुनिओ उपर प्रहार करवा तैयार थाय छे त्यारे
जैनधर्मनो भक्त यक्षदेव तेमनी रक्षा करीने भक्तिभर्युं वात्सल्य प्रसिद्ध करे छे.
त्यां सुधी अन्न जळनो त्याग करीने हस्तिनापुरना श्रावकजनो धर्मात्मा प्रत्येनी
अजब वत्सलता ने परमभक्ति व्यक्त करे छे. बीजी बाजु मिथिलापुरीमां
आचार्यश्रुतसागर पण मुनिवरो उपरनो उपसर्ग जोइने रही शकता नथी ने
तीव्रवत्सलताने लीधे मौन तोडीने ‘हा...’ एवा उद्गार तेमना मुखथी नीकळी
जाय छे. महान ऋद्धिधारक मुनिराज विष्णुकुमार बधी हकीकत जाणीने वात्सल्यथी
प्रेराई छे ने युक्तिपूर्वक ७०० मुनिवरोनी रक्षा करे छे....हस्तिनापुरमां
जयजयकार छवाई जाय छे....बलिराज वगेरे पण माफी मांगीने जैनधर्मना
श्रद्धाळु बने छे. विष्णुकुमार फरी मुनि थइ केवळज्ञान पामे छे.
आवीने राणीचेलणाने पोताना पराक्रमनी वात करी. ए सांभळतां ज राणी
चेलणानुं भक्तहृदय आकुळव्याकुळ थई गयुं. उदास थईने तत्काळ मुनिराजनो
उपसर्ग दूर करवा ए