Atmadharma magazine - Ank 248
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 10 of 55

background image
: जेठ : २४९० आत्मधर्म : ३ :
वैशाख सुद छठ्ठनी सवारमां माताजीना १६ मंगलस्वप्नोना सर्वोत्तम फळनुं
वर्णन, ५६ कुमारिका देवीओ द्वारा सेवा–भक्ति–आनंदकारी चर्चा, विश्वसेनमहाराजानो
राजदरबार, ईन्द्रदरबार वगेरेना भाववाही द्रश्यो थया हता. सांजे घणा
भक्तिभावपूर्वक दादर जिनमंदिरमां वेदी–कळश–ध्वजशुद्धि थई हती. रात्रे भक्ति–
भजननो कार्यक्रम हतो. वैशाख सुद सातम ए मागसर वद अगियारस तरीके शोभती
हती....ए सुप्रभात अनेरूं शोभतुं हतुं....भगवान पाश्वनाथनो जन्म थतां दशे दिशाओ
आनंदमंगलना नादथी ज्यारे गाजी ऊठी... चारेकोर झळहळतो प्रकाश खीली ऊठ्यो
अने हजारो जीवोनां हैयां हर्षथी नाची ऊठया त्यारे तो, जाणे पंचमकाळमां नहि पण
चोथा काळमां बेठा होईए ने मुंबईनगरीमां नहि परंतु वाराणसीनगरी
(काशीनगरी) मां बेठा होईए...एवुं लागतुं हतुं. मध्यलोकनी तो शी वात,
ऊर्ध्वलोकना ईन्द्रो ने ईन्द्राणीओ पण आनंदविभोर बन्या हता...ने सौ भगवानना
जन्मोत्सवनो हर्ष व्यक्त करी रह्या हता...छप्पन कुमारीदेवीओ जन्मवधाईना
मंगळगीतपूर्वक पोतानो आनंद व्यक्त करती हती. चारे कोर वाजां गाजता
हता...सौधर्मईन्द्र ऐरावत सहित अने बीजा अनेक ईन्द्रईन्द्राणीओ भगवाननो
जन्मोत्सव उजववा भारतमां आवी पहोंच्या. अने ज्यारे शचीदेवीए ए
बालतीर्थंकरने हाथमां तेडया ने भक्तिपूर्वक ईन्द्रना हाथमां आप्या...त्यारे हजारो लोको
ए पार्श्वकुंवरने देखीने आनंदथी जयजयकार करवा लाग्या....अहा, तीर्थंकर जन्म्या...ने
एमना दर्शन थया...ए कल्याणक प्रसंगनी शी वात! सौधर्मईन्द्र तथा शची ईन्द्राणी
थवानुं सद्भाग्य शेठ पुरणचंदजी झवेरी अने तेमना धर्मपत्नीने, तथा ऐशानेन्द्र थवानुं
सुभाग्य शेठ रमणीकभाई तथा तेमनां धर्मपत्नीने प्राप्त थयुं हतुं. ते उपरांत बीजा ११
ईन्द्र–ईन्द्राणीओ पण भगवानना कल्याणक उजववामां हर्षानंदपूर्वक भाग लई रह्या
हता. श्री अश्वसेन पिताजी तरीके देसाई प्राणलालभाई अने वामादेवी माताजी तरीके
सौ. कसुंबा बहेनने महाभाग्य प्राप्त थयुं हतुं. ईन्द्र–ईन्द्राणीओ भगवान पार्श्वकुमारने
नीरखी नीरखीने खूब हर्षित थया...ऐरावत उपर भगवान बालतीर्थंकरना
जन्माभिषेक माटेनी सवारी अद्भुत हती. मुंबईना रस्ता उपर–माणसोनेय चालवानी
ज्यां भीड पडे छे त्यां हाथी अने बीजा अनेक आज सहितनी पार्श्वकुंवरनी भव्य
सवारी ज्यारे नीकळी त्यारे मुंबईनगरीना सात सात माळना मकानोनी अटारीओ
दर्शकोथी ऊभराती हती...जे नगरीमां भगवान जन्मे ते नगरीना हर्षनी शी वात!!
सादा हाथी उपरांत ऊचेंऊंचे ऐरावतहाथी पण सात सूंढसहित कला कारीगरीथी खूब
शोभतो हतो. नगरीना मुख्य रस्ताओ उपर थईने आझादमेदानमां मेरूपर्वत पासे
आवी पहोंच्या...ने त्यां घणी भक्तिपूर्वक पंदर