Atmadharma magazine - Ank 248
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : २४९० आत्मधर्म : १५ :
मोक्षार्थीने मुक्तिनो उल्लास : [बळदनुं दष्टांत]
आत्माए अनंतकाळथी एक सेकंड पण पोताना स्वभावने लक्षमां लीधो नथी,
तेथी तेनी समजण कठण लागे छे ने शरीरादि बाह्य क्रियामां धर्म मानीने मनुष्यभव
मफतमां गुमावे छे. जो आत्मस्वभावनी रुचिथी अभ्यास करे तो तेनी समजण सहेली
छे, स्वभावनी वात मोंधी न होय. दरेक आत्मामां समजवानुं सामर्थ्य छे. पण पोतानी
मुक्तिनी वात सांभळीने अंदरथी उल्लास आववो जोईए, तो झट समजाय. जेम
बळदने ज्यारे घेरथी छोडीने खेतरमां काम करवा लई जाय त्यारे तो धीमे धीमे जाय ते
जतां वार लगाडे; पण ज्यारे खेतरना कामथी छूटीने घरे पाछा वळे त्यारे तो दोडता
दोडता आवे. केम के तेने खबर छे के हवे कामना बंधनथी छूटीने चार पहोर सुधी
शांतिथी घास खावानुं छे, तेथी तेने होंश आवे छे ने तेनी गतिमां वेग आवे छे.
जुओ, बळद जेवा प्राणीने पण छूटकारानी होंश आवे छे. तेम आत्मा अनादि काळथी
स्वभाव–घरथी छूटीने संसारमां रखडे छे; श्रीगुरु तेने स्वभाव–घरमां पाछो वळवानी
वात संभळावे छे. पोतानी मुक्तिनो मार्ग सांभळीने जीवने जो होंश न आवे तो पेला
बळदमांथी ये जाय! पात्र जीवने तो पोताना स्वभावनी वात सांभळतां ज अंतरमांथी
मुक्तिनो उल्लास आवे छे अने तेनुं परिणमन स्वभावसन्मुख वेगथी वळे छे. जेटलो
काळ संसारमां रखडयो तेटलो काळ मोक्षनो उपाय करवामां न लागे, केम के विकार
करतां स्वभाव तरफनुं वीर्य अनंतु छे तेथी ते अल्प काळमां ज मोक्षने साधी ल्ये छे.
पण ते माटे जीवने अंतरमां यथार्थ उल्लास आववो जोईए.
मोक्षार्थीने मुक्तिनो उल्लास: [वाछरडानुं द्रष्टांत]
श्री परमात्म–प्रकाशमां पशुनो दाखलो आपीने कहे छे के मोक्षमां जो उत्तम सुख
न होत तो पशु पण बंधनमांथी छूटकारानी ईच्छा केम करत? जुओ, बंधनमां बंधायेल
वाछरडाने पाणी पावा माटे बंधनथी छूटो करवा मांडे त्यां ते छूटवाना हरखमां कूदाकूद
करवा मांडे छे; अहा! छूटवाना टाणे ढोरनुं बच्चुं पण होंशथी कूदका मारे छे–नाचे छे.
तो अरे जीव! तुं अनादि अनादिकाळथी अज्ञानभावे आ संसारबंधनमां बंधायेलो छे,
अने हवे आ मनुष्यभवमां सत्समागमे ए संसारबंधनथी छूटवाना टाणां आव्या छे.
श्री आचार्यदेव कहे छे के अमे संसारथी छूटीने मोक्ष थाय तेवी वात संभळावीए अने
ते सांभळतां जो तने संसारथी छूटकारानी होंश न आवे तो तुं पेला वाछरडामांथी पण
जाय तेवो छे! खुल्ली हवामां फरवानुं ने छूटा पाणी पीवानुं टाणुं मळतां छूटापणानी