Atmadharma magazine - Ank 248
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : २४९० आत्मधर्म : ३१ :
चार भाई
चार भाई छे, महा सुंदर, महा पवित्र, महा समर्थ...एनी माता छे जिनवाणी,
एना पिता छे एक मुनिराज...एनुं मोसाळ छे महाविदेहमां...एनुं जन्मस्थान छे
पोन्नूरधाम...चारेय भाईओ झरीयनना सुंदर वस्त्राभूषणथी सोनगढना
स्वाध्यायमंदिरमां शोभी रह्या छे... कानजीस्वामीने ए चारेय भाईओ बहु ज वहाला
छे ने एमनी पासेथी हंमेशां कंईक ने कंईक नवुं जाणे छे...जो के तेमने बीजा पण
केटलांक भाईओ छे पण आ चार भाईओ तो जैनशासनमां अजोड छे...अनेक
संतमुनिओए तेमनुं बहुमान कर्युं छे...ने कोईक मुनिओए तेमनी टीका पण करी
छे...ओळख्या तमे ए चार भाई ने? जुओ, आ रह्या ए चार भाईओ–










समयसार, प्रवचनसार, नियमसार, पंचास्तिकाय. केवा मजाना छे चार भाई!
केवा सुंदर! केवा पवित्र! ने केवा समर्थ! एमनी माता छे जिनवाणी. कुंदकुंदभगवानना
ए नंदननुं मोसाळ महाविदेहमां–सीमंधरनाथनी धम सभामां छे...पोन्नूरधाम एमनुं
जन्म स्थान छे के ज्यां बेठाबेठा कुंदकुंदस्वामीए ए महान शास्त्रोने स्वानुभूतिमांथी
जन्म आप्यो...सोनगढना स्वाध्यायमंदिरमां ए चारे शास्त्रो झरीना पुंठाथी शोभी रह्या
छे...ए चारे शास्त्रो कानजीस्वामीने बहु वहाला छे ने हंमेशा तेनी ऊंडी स्वाध्यायद्वारा