Atmadharma magazine - Ank 248
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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: ३२ : आत्मधर्म : जेठ : २४९०
आध्यात्मिक क्रान्ति
अत्यारे क्रान्तिनो युग छे : ज्यां जुओ त्यां बस, क्रांति...क्रांति ने क्रांति! वर्षोनां
अहा, तीर्थंकरोना ने सन्तोना आत्मिक स्वाधीनताना सन्देशा झीलीने, अने
कुमार्गनी बेडीनां बंधन तोडीने जीवनमां तेमणे जे आत्मिक क्रांति करी छे ते अजोड छे...
एटलुं ज नहि, भारतना जीवोने पण ए ज मार्गे आववानी हाकल करीने अध्यात्मनी
जे महान क्रान्ति तेमणे सर्जी छे ते जैनशासनना सुवर्णपट उपर हीराना अक्षरोथी
आलेखाई गई छे. ए क्रान्तिकारनी वीरहाक सांभळीने भारतना खूणेखूणेथी जागेला
हजारो जीवोए पराधीनद्रष्टिना बंधननी बेडी तोडी नांखी छे; स्वाधीनद्रष्टिना पुरुषार्थ
पासे ‘वेठना वारा’ जेवी ओशीयाळीवृत्तिना गढ तूटी पड्यां छे....ने अध्यात्मनी एक
महान क्रान्तिना विजयनो धर्मध्वज जैनशासनना ऊंचा आकाशमां आनंदथी लहेराई
रह्यो छे. ए धर्मध्वजनी छायामां जीवनमां आध्यात्मिक आंदोलनो जगाडीने, आत्मामां
धर्मक्रान्तिद्वारा परम शान्ति प्राप्त करवी ते आपणुं कर्तव्य छे.