Atmadharma magazine - Ank 249
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 3 of 35

background image
न....वुं....प्र....का....श....न....
मोक्षशास्त्र (तत्त्वार्थसूत्र) त्रीजी आवृत्ति
आद्य सूत्रकार श्री गृद्धपिच्छ–ऊमास्वामी विरचित तत्त्वार्थसूत्र जैन धर्ममां
महान प्रसिद्ध शास्त्र छे जेनी उपर श्री पुज्यपादाचार्य, श्री अकलंकदेव, श्री
विद्यानंदस्वामीए १८ थी २० हजार श्लोक प्रमाण टीका करी छे त्यार बाद पण
घणा टीका गं्रथ रचाया छे. आ ग्रन्थमां असाधारण श्रमद्वारा अनेक टीकानो सार
संग्रहरूपे छे. सर्वज्ञ वीतराग कथित तत्त्वार्थोनुं सम्यग्दर्शनादिनुं निरुपण सुगम
अने स्पष्ट शैलीथी छे. सम्यक् अनेकान्तएकान्त, नयार्थ, प्रमाण अने नय
विभाग द्वारा सुसंगत शास्त्राधार सहित प्रश्नोतर, लगभग ७प पाना जेटला
नवा शास्त्राधार उमेराया छे जेमां प्रयोजनभूत विवेचन तथा विस्तारथी
प्रस्तावना छे. शास्त्र महत्वपूर्ण होवाथी तत्त्व जिज्ञासुओए वारंवार वांचवा
योग्य छे.
पृ. संख्या–९०० मूल्य ४–०० पोष्टेज २–२प
ः ः लघु जैन सिद्धान्त प्रवेशिकाः ः
हिन्दीमां १८०००, बुक वेचाइ गइ ते समाजमां जिज्ञासानुं माप छे. घणा
भाईओनी मांग होवाथी तेने ज गुजरातीमां छपावी छे. शास्त्राधार सहित अती
संक्षेपमां खास प्रयोजनभूत तत्त्वज्ञानना पायानी जाणकारी माटे आ प्रवेशिका छे.
जैन–जैनेतर सर्व जिज्ञासुओमां निःसंकोच वहेंचवा योग्य छे, ईंग्लीश भाषामां
पण छपाववा योग्य छे. जेमां अत्यंत स्पष्ट शैलीथी मूळभूत जरुरी वातोनुं ज्ञान
कराववामां आव्युं छे.
पृ. १०८ मूल्य ०–३प पोष्टेज ०–१०
(ब्र गुलाबचंद जैन)