Atmadharma magazine - Ank 249
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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ः २८ः अषाढः २४९०
ते निजस्वभाव तरफ वळतो थको, बंधोथी विरमे छे,–एटले ते कर्मोथी मुक्त थाय छे. आ
सिवाय बीजी रीतथी मुक्ति थती नथी; आ एक ज मोक्षनो उपाय होवानो नियम छे.
आत्मा तो निर्विकार चैतन्यचमत्कारथी भरेलो छे. चोसठ ऋद्धिमां केवळज्ञानादि
ऋद्धि आवे छे ते आत्मानी खरी ऋद्धि छे; मुनिओने स्वरूप साधता साधता बहारनी
पण रसऋद्धि वगेरे अनेक ऋद्धि–लब्धिओ प्रगटे पण चैतन्यचमत्कार पासे जगतना
बीजा कोइ चमत्कार के ऋद्धिनी महत्ता तेमने नथी. निर्दोषता ने वीतरागता जेमां भरी
छे–एवो आत्मा बंधभावोथी अत्यंत जुदो छे. रागादि दोषो ते तो बंधनो स्वभाव छे,
ते आत्मानो स्वभाव नथी. आत्मानो स्वभाव तो चैतन्यभावथी ज सर्वत्र भरेलो छे.
अरे जीव! एकवार ज्ञानने अंदरमां ऊंडुं उतारीने आवी वहेंचणी तो कर. तारा
चैतन्यचमत्कारमां विकारनो प्रवेश नथी, पण अनंता गुणो तारा चैतन्यचमत्कारमां
समाय छे, ने केवळज्ञानादि अनंत ऋद्धि तारा चैतन्यचमत्कारमां समाय छे. जगतने
बहारना चमत्कारनो महिमा आवे छे के सोमा सतीना शीलना प्रतापे सर्पनो हार बनी
गयो, भक्तिथी जेलना ताळां तूटी गया, वगेरे;–परंतु चैतन्यना गुप्त चमत्कारमां बेहद
स्वभावसामर्थ्य भर्युं छे–ते पोताना चमत्कारनो महिमा पोताने आवतो नथी. स्वभाव
शुं चीज छे ने परभावरूप बंधभाव कइ रीते भिन्न छे ते जाणे तो बंधनथी पाछो
वळीने स्वभाव तरफ वळे ने मोक्षउपाय प्रगटे.
स्वभाव अने बंधभावने जुदा जाणीने स्वभाव तरफ वळे तो बंधनथी छूटे;
पण जो स्वभाव तरफ न वळे ने बंधना विचारमां ज रोकाइ रहे–तो बंधनथी छूटे नहि.
जे जीव बंधभावने अने आत्मस्वभावने खरेखर जुदा ओळखे ते जीव बंधथी पाछो
फरीने स्वभाव तरफ वळ्‌या वगर रहे ज नहि. जो एम न थाय तो तेणे खरेखर बन्नेने
जुदा जाण्या ज नथी, भेदज्ञान कर्युं ज नथी.
जुओ, आ निश्चय मोक्षमार्गनी वात छे, नियमथी मोक्षनो उपाय शुं छे–तेनी आ
वात छे. आत्मस्वभावने बंधनथी भिन्न जाणवो, भिन्न श्रद्धवो ने भिन्न परिणमवुं–एवुं
जे द्विधाकरण ते एक ज नियमथी मोक्षकारण छे, बीजुं कोइ मोक्षकारण नथी.
हवे मुमुक्षु शिष्य पूछे छे के प्रभो! आपे द्विधाकरणने ज मोक्षनुं कारण कह्युं–तो
ते द्विधाकरण साधन शुं? कया साधनथी आत्मा अने बंधने जुदा करवा? एवुं पूछनार
शिष्यने आचार्यदेव साधन बतावतां कहे छे केः आत्मा अने बंधने भिन्न करवामां
भगवती प्रज्ञा ज साधन छे. केमके बीजा कोइ भिन्न साधननो अभाव छे–