Atmadharma magazine - Ank 249
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 32 of 35

background image
अषाढः २४९०ः २९ः
जीव बंध बंने, नियत निज निज लक्षणे छेदाय छे,
प्रज्ञा छीणी थकी छेदतां बंने जुदा पडी जाय छे. (२९४)
जुओ, आ मोक्षना उपायनी रीत. मोक्षनुं साधन आत्माथी बहार नथी. जे
जीव मुमुक्षु थइने, शोधक थईने आत्माना मोक्षनुं साधन शोधे छे, तेनी ऊंडी विचारणा
करे छे, तेने आत्माना मोक्षनुं साधन क्यांय बहार नथी देखातुं, पण आत्मामां ज
मोक्षनुं साधन छे, अने ते साधन “प्रज्ञा” छे. प्रज्ञा एटले आत्मा अने बंध बंनेना
स्वलक्षणोने भिन्नभिन्न ओळखनारुं ज्ञान; बंनेने भिन्न ओळखीने ते ज्ञान,
आत्मस्वभावमां तो तन्मय थइने परिणमे छे ने रागादि बंधभावोथी जुदुं थइने
परिणमे छे. आवी ज्ञानपरिणतिरूप जे भगवतीप्रज्ञा ते ज मोक्षनुं साधन छे.
जुओ, आ मोक्षना साधननी मीमांसा; मीमांसा एटले ऊंडी तपास; ऊंडी
विचारणा; रागने के बाह्यक्रियाने मोक्षनुं साधन जेओ माने छे तेओ तो ऊंडी विचारणा
वगरना छे. अरे भाई! तुं जराक विचार तो कर के आत्मानी शुद्धीनुं साधन अशुद्धता केम
होय? आत्मानी शुद्धीनुं साधन आत्माथी बहार केम होय? राग तो उदयभाव छे ने मोक्ष
तो क्षायकभाव छे, तो उदयभाव क्षायकभावनुं साधन केम थाय? जे मुमुक्षु थइने मोक्षना
साधनने शोधे–विचारे तेने तो रागमां मोक्षनुं साधन भासतुं नथी, पण रागने आत्माथी
जुदी पाडनारी जे प्रज्ञा–भगवतीप्रज्ञा–ते ज मोक्षनुं साधन अंतरंगमां प्रतिभासे छे.
व्यवहारकथन आवे त्यां पण मुमुक्षु मुंझातो नथी के आ पण मोक्षनुं साधन
हशे! ते जाणे छे के निश्चयथी मोक्षनुं साधन ते ज होय के जे मारा स्वभावथी अभिन्न
होय. केमके निश्चयथी भिन्न साधननो अभाव छे. जेम मोक्षनो कर्ता आत्माथी भिन्न
बीजो कोई नथी, तेम ते मोक्षनुं करण (साधन) पण आत्माथी खरेखर भिन्न नथी.
प्रज्ञा,–एटले के रागथी जुदुं पडीने अंतरमां वळेलुं ज्ञान, के जे आत्माथी अभिन्न छे ते
ज मोक्षनुं खरूं साधन छे. ते साधनवडे ज आत्मा बंधनने छेदी शके छे. आ सिवाय
भेदरूप जे व्यवहार साधन तेना वडे खरेखर बंधन छेदातुं नथी. ते व्यवहारना
आश्रयमां अटकवाथी तो रागनी उत्पत्ति अने बंधन थाय छे. जेना आश्रये बंधन थाय
ते पोते मोक्षनुं साधन केम थई शके? –न ज थाय. बंधने आत्माथी जुदुं पाडनारुं ज्ञान
ते ज मोक्षनुं कारण थाय छे. व्यवहारना आश्रयथी जेओ मोक्षनुं साधन माने छे–
तेओए मोक्षना साधननी खरी मीमांसा करी नथी, ऊंडो विचार कर्यो नथी, छीछरो–
उपलकियो विचार कर्यो छे, पण शास्त्रना मर्म सुधी तेओ पहोंच्या नथी. भाई, संतोनुं
हार्द अने शास्त्रोनो मर्म तो आ छे के आत्माना मोक्षनुं साधन आत्माना आश्रये ज
होय ने बीजाना आश्रये न होय.