वस्तुनुं वर्णन सांभळीने कोने हर्ष न थाय! हजारो शास्त्रोए हजारो श्लोको वडे जेना
अचिंत्य महिमानुं वर्णन कर्युं छे एवा सम्यग्दर्शननी शी वात!–एवुं सम्यग्दर्शन साक्षात्
जोवा मळे छे. केम के भावनिक्षेपे सम्यक्त्वपरिणत जीवो ते पोते ज सम्यग्दर्शन छे, एटले
एवा समकिती जीवोनुं दर्शन ते साक्षात् सम्यग्दर्शननुं ज दर्शन छे; एमनी उपासना ते
विनय–भक्ति छे. आपणा सौभाग्ये आपणने अत्यारे सम्यक्त्वना आराधक जीवोनी
सत्संगतिनो अने तेमनी उपासनानो सुअवसर सांपडयो छे. पू. गुरुदेव भव्य जीवोने
सम्यग्दर्शनना परम महिमानुं अने तेनी प्राप्तिना उपायनुं श्रवण–मंथन करवुं ते
मानवजीवननी कृतार्थता छे. गुरुदेव पोताना कल्याणकारी उपदेश वडे सम्यग्दर्शननुं जे
स्वरूप समजावी रह्या छे तेना ज एक अल्प अंशनो आ पुस्तकमां संग्रह कर्यो छे.
सम्यग्दर्शन एवी चीज छे के एक क्षण पण तेनी प्राप्ति करनार जीव जरूर मोक्ष पामे
छे. माटे, आवा सम्यग्दर्शननी प्राप्तिनो प्रयत्न करवो तेज आ दुर्लभ मानव जीवननुं
साधन छे. जेने सम्यग्दर्शन प्रगट करीने आ असार संसारना जन्म–मरणथी छूटवुं
होय...ने फरीथी नव मास नवी माताना पेटे पूरावुं न होय तेओ सत्समागमना
सेवनपूर्वक आत्मरसथी सम्यग्दर्शननो अभ्यास करो.
(सम्यग्दर्शन पुस्तक त्रीजुंः निवेदनमांथी)
वांचन कारभाईनी आवश्यकता होय तेमणे सोनगढ प्रचार कमिटिने ते संबंधी
तुरत सूचना मोकलवी, जेथी ते संबंधी योग्य प्रबंध वखतसर करी शकाय.