Atmadharma magazine - Ank 249
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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अषाढः २४९०ः ३१ः
* स..... म्य.... ग्द.... र्श.... न *
सम्यग्दर्शन! केवुं आह्लादकारी छे! –पोताना जीवननुं ए महान कर्तव्य.. एनुं
नाम सांभळतांय आत्मार्थीने भक्तिथी रोमांच उल्लसे छे. खरूं ज छे,–पोतानी प्रिय
वस्तुनुं वर्णन सांभळीने कोने हर्ष न थाय! हजारो शास्त्रोए हजारो श्लोको वडे जेना
अचिंत्य महिमानुं वर्णन कर्युं छे एवा सम्यग्दर्शननी शी वात!–एवुं सम्यग्दर्शन साक्षात्
जोवा मळे तो केवी आनंदनी वात! आ काळे गुरुदेवना प्रतापे एवुं सम्यग्दर्शन साक्षात्
जोवा मळे छे. केम के भावनिक्षेपे सम्यक्त्वपरिणत जीवो ते पोते ज सम्यग्दर्शन छे, एटले
एवा समकिती जीवोनुं दर्शन ते साक्षात् सम्यग्दर्शननुं ज दर्शन छे; एमनी उपासना ते
सम्यग्दर्शननी ज उपासना छे; एमनुं बहुमान–विनय–भक्ति ते सम्यक्त्वनुं ज बहुमान–
विनय–भक्ति छे. आपणा सौभाग्ये आपणने अत्यारे सम्यक्त्वना आराधक जीवोनी
सत्संगतिनो अने तेमनी उपासनानो सुअवसर सांपडयो छे. पू. गुरुदेव भव्य जीवोने
सम्यग्दर्शननुं स्वरूप समजावी रह्या छे; तेओश्रीनी मंगलकारी चरणछायामां रहीने
सम्यग्दर्शनना परम महिमानुं अने तेनी प्राप्तिना उपायनुं श्रवण–मंथन करवुं ते
मानवजीवननी कृतार्थता छे. गुरुदेव पोताना कल्याणकारी उपदेश वडे सम्यग्दर्शननुं जे
स्वरूप समजावी रह्या छे तेना ज एक अल्प अंशनो आ पुस्तकमां संग्रह कर्यो छे.
संसारमां मनुष्यपणुं दुर्लभ छे. परंतु सम्यग्दर्शन तो एनाथीय दुर्लभ छे.
मनुष्यपणुं पामीने पण सम्यक्त्वहीन जीव पाछो संसारमां ज रखडे छे...परंतु
सम्यग्दर्शन एवी चीज छे के एक क्षण पण तेनी प्राप्ति करनार जीव जरूर मोक्ष पामे
छे. माटे, आवा सम्यग्दर्शननी प्राप्तिनो प्रयत्न करवो तेज आ दुर्लभ मानव जीवननुं
महाकर्तव्य छे...अने तेने माटे ज्ञानी धर्मात्माओनो सीधो सत्समागम सौथी मोटुं
साधन छे. जेने सम्यग्दर्शन प्रगट करीने आ असार संसारना जन्म–मरणथी छूटवुं
होय...ने फरीथी नव मास नवी माताना पेटे पूरावुं न होय तेओ सत्समागमना
सेवनपूर्वक आत्मरसथी सम्यग्दर्शननो अभ्यास करो.
(सम्यग्दर्शन पुस्तक त्रीजुंः निवेदनमांथी)
[सम्यग्दर्शन–पुस्तक त्रीजुं किंमत रूा. १/–]
मुमुक्षु मंडळोने सूचना
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टनी प्रचार कमिटी तरफथी सूचित करवामां
आवे छे के दसलक्षणीपर्युषण दरमियान जे जे गामना मुमुक्षुमंडळने के जैनसमाजने
वांचन कारभाईनी आवश्यकता होय तेमणे सोनगढ प्रचार कमिटिने ते संबंधी
तुरत सूचना मोकलवी, जेथी ते संबंधी योग्य प्रबंध वखतसर करी शकाय.
–प्रचार कमिटि, जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौ.)