Atmadharma magazine - Ank 249
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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२ः आत्मधर्मः २४९
जीवना पांच भावोनो परिचय
जीवना पांच खास भावो छे. अने पोताना
उपशमादि सर्वे भावोनो कर्ता जीव पोते ज छे.
पुद्गलकर्मनी उदयादि सर्व अवस्थानुं कर्ता ते पुद्गलकर्म
ज स्वयं छे. जीवना पांच भावो संबंधी सुंदर विवेचन
प्रवचनमां आवेलुं; जे विविध प्रकारो जाणतां जिज्ञासुने
ज्ञाननो उल्लास थाय छे. ते पांच भावोनो परिचय
उपयोगी होवाथी अहीं ते संबंधी ६१ प्रश्नो आपवामां
आव्या छे. आ अंकमां मात्र प्रश्नो ज आपीए छीए,
तेना उत्तर आवता अंकमां आपीशुं; जेथी जिज्ञासु
पाठकोने स्वयं विचारवानो अवकाश रहे.
(१) जीवना खास पांच भावो छे ते कया कया?
(२) चोथाथी चौदमा गुणस्थान सुधीमां होय ते कयो भाव?
(३) चोथाथी ११ मा गुणस्थान सुधीमां होय ते कयो भाव?
(४) पहेलेथी १४ मा गुणस्थान सुधी होय ते कयो भाव?
(प) पहेलेथी बारमा गुणस्थान सुधी होय ते कयो भाव?
(६) संसारी अने सिद्ध बधायमां होय–ते कयो भाव?
(७) सिद्धमां न होय–ते कयो भाव?
(८) संसारीमां न होय–ते कयो भाव?
(९) बधाय संसारी जीवोमां होय–ते कयो भाव?
(१०) संसारमां सौथी झाझा जीवोने होय ते कयो भाव?
(११) संसारमां सौथी ओछा जीवने होय ते कयो भाव?
(१२) बधाय छद्मस्थ जीवोने होय–ते कयो भाव?