(१४) धर्मनी पहेली शरूआत थाय त्यारे कया भावो होय?
(१प) देवगतिमां कया कया भावो होय शके?
(१६) मनुष्यगतिमां कया कया भावो होइ शके?
(१७) नरकगतिमां कया कया भावो होइ शके?
(१८) तिर्यंचगतिमां कया कया भावो होइ शके?
(१९) श्रद्धानो क्षायकभाव कया गुणस्थाने होय?
(२०) ज्ञाननो क्षायकभाव कया गुणस्थाने होय?
(२१) चारित्रनो क्षायकभाव कया गुणस्थाने होय?
(२२) पांचमांथी सौथी ओछा भावो कया जीवने होय?
(२३) एक साथे पांचे भावो कया जीवने लागु पडे छे?
(२४) पंदरमुं स्थान कयुं?
(२प) उपशम समकितीने क्षपकश्रेणी होय?
(२६) क्षायक समकितीने उपशमश्रेणी होय?
(२७) क्षपकश्रेणीवाळो जीव स्वर्गमां जाय?
(२८) उपशमश्रेणीवाळो जीव स्वर्गमां जाय?
(२९) मनःपर्यय ते कयो भाव छे?
(३०) केवळज्ञान ते कयो भाव छे?
(३१) सम्यग्दर्शन ते कयो भाव छे?
(३२) वीतरागता ते कयो भाव?
(३३) अत्यारे भरतक्षेत्रना जीवने कया कया भावो होय?
(३४) आठ कर्ममांथी उदय केटलामां होय?
(३प) आ कर्ममांथी क्षय केटलामां होय?
(३६) आठ कर्ममांथी उपशम केटलानो होय?
(३७) आठ कर्ममांथी क्षयोपशम केटलानो होय?
(३८) अनादि अनंत भाव कयो?
(३९) सादिअनंत भाव कयो?
(४०) अनादि सांत भाव कयो?
(४१) सादि–सांत भाव कयो?