Atmadharma magazine - Ank 250
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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श्रावणः २४९०ः १७ः
जीवना पांच भावोनो परिचय
जीवना पांच खास भावो छे. अने पोताना उपशमादि सर्व
भावोनो कर्ता जीव पोते ज छे. पुद्गलकर्मनी उदयादि सर्व अवस्थानुं कर्ता
ते पुद्गलकर्म ज स्वयं छे. जीवना पांच भावो संबंधी सुंदर विवेचन
प्रवचनमां आवेलुं;–जे विविध प्रकारो जाणतां जिज्ञासुने ज्ञाननो उल्लास
थाय छे. ते पांच भावोनो परिचय उपयोगी होवाथी गतांकमां
आत्मधर्मना जिज्ञासु पाठको पासे ते संबंधी १०१ प्रश्नो आपवामां
आव्या हता. आ अंकमां ते प्रश्ननी साथे उत्तर पण आपवामां आव्या छे;
ते जिज्ञासु पाठकोने उपयोगी अने रुचिकर थशे.
(१) जीवना खास पांच भावो छे–ते कया कया?
–औपशमिक क्षायिक, क्षयोपशमिक, औदयिक अने पारिणामिक–ए
जीवना खास पांच भावो छे.
(२) चोथा गुणस्थानथी चौदमा गुणस्थान सुधीमां होय ते क्यो भाव?
–क्षायकभाव.
(३) चोथाथी ११मा गुणस्थान सुधीमां होय ते क्यो भाव?
–उपशमभाव
(४) पहेलेथी १४मा गुणस्थान सुधी होय ते क्यो भाव?
–उदयभाव तेमज पारिणामिकभाव.
(प) पहेलेथी १२मा गुणस्थान सुधी होय ते क्यो भाव?
–क्षयोपशमभाव.
(६) संसारी अने सिद्ध बधायमां होय ते क्यो भाव?
–पारिणामिकभाव.
(७) सिद्धमां न होय ते क्यो भाव?
–उदयभाव, क्षयोपशमभाव अने उपशमभाव.