Atmadharma magazine - Ank 250
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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ः १८ः श्रावणः २४९०
(८) संसारीमां न होय ते क्यो भाव?
–एकेय नहि; समुच्चयपणे संसारी जीवोमां पांचे भाव होय छे.
(९) बधाय संसारी जीवोमां होय ते क्यो भाव?
–उदयभाव.
(१०) संसारमां सौथी झाझा जीवोने होय ते क्यो भाव?
–उदयभाव.
(११) संसारमां सौथी ओछा जीवोने होय ते क्यो भाव?
–उपशमभाव.
(१२) बधाय छद्मस्थ जीवोने होय ते क्यो भाव?
–उदयभाव अने क्षयोपशमभाव.
(१३) ज्ञानपर्यायमां लागु न पडे ते क्यो भाव?
–उपशमभाव.
(१४) जीवने धर्मनी पहेली शरूआत थाय त्यारे कयाकया भावो होय?
–उपशम, क्षयोपशम, उदय ने पारिणामिक–ए चार भावो होय.
(१प) देवगतिमां कया कया भावो होई शके?
–पांचे भावो होय.
(१६) मनुष्यगतिमां कयाकया भावो होइ शके?
–पांचे भावो होय.
(१७) नरकगतिमां कया कया भावो होइ शके?
–पांचे भावो होय.
(१८) तिर्यंचगतिमां कया कया भावो होई शके?
–पांचे भावो होय.
(१९) श्रद्धानो क्षायकभाव कया गुणस्थाने होय?
–चोथा गुणस्थानथी मांडीने १४मा गुणस्थान सुधी.
(२०) ज्ञाननो क्षायकभाव कया गुणस्थाने होय?
–तेरमा अने १४मा गुणस्थाने.