Atmadharma magazine - Ank 250
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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श्रावणः २४९०ः १९ः
(२१) चारित्रनो क्षायकभाव कया गुणस्थाने होय?
–१२मा गुणस्थानथी १४मा सुधी. (उपरोक्त त्रणे भावो सिद्धदशामांय
होय छे.)
(२२) पांचमांथी सौथी ओछा भावो कया जीवने होय?
–सिद्धभगवानने बे ज भाव छे–क्षायक अने पारिणामिक.
(२३) एक साथे पांच भावो कया जीवने लागु पडे?
–उपशमश्रेणीमां आरूढ क्षायक सम्यग्द्रष्टिने पांचे भाव लागु पडे.
(२४) पंदरमुं स्थान कयुं?
–१४ गुणस्थानथी पार एवुं सिद्धपद.
(२प) उपशम समकितीने क्षपकश्रेणी होय?
–ना.
(२६) क्षायक समकितीने उपशमश्रेणी होय?
–हा.
(२७) क्षपकश्रेणीवाळो जीव स्वर्गमां जाय?
–ना; (मोक्षमां ज जाय.)
(२८) उपशमश्रेणीवाळो जीव स्वर्गमां जाय?
–हा.
(२९) मनःपर्ययज्ञान ते क्यो भाव?
–क्षयोपशमभाव.
(३०) केवळज्ञान ते क्यो भाव?
–क्षायकभाव.
(३१) सम्यग्दर्शन ते क्यो भाव?
–उपशम, क्षयोपशम के क्षायक.
(३२) वीतरागता ते क्यो भाव?
–उपशम के क्षायक.
(३३) अत्यारे भरतक्षेत्रना जीवने कया कया भावो होय?
–उपशम, क्षयोपशम, उदय अने पारिणामिक.