Atmadharma magazine - Ank 250
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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श्रावणः २४९०ः २१ः
(४७) १४मा गुणस्थाने कया भावो होय?
–क्षायक, उदय अने पारिणामिक–ए त्रण भावो होय.
(४८) १३मा गुणस्थाने कया भावो होय?
–उपर मुजब त्रण.
(४९) १२मा गुणस्थाने कया भावो होय?
–क्षायक, क्षयोपशम, उदय अने पारिणामिक.
(प०) ११मा गुणस्थाने कया भावो होय?
–पांचे भावो होई शके.
(प१) पहेला गुणस्थाने होय ने १४मा गुणस्थाने न होय–ए क्यो भाव?
–क्षयोपशम भाव.
(प२) पहेला गुणस्थाने होय ने १४मा गुणस्थाने पण होय–ए क्यो भाव?
–उदयभाव अने पारिणामिकभाव.
(प३) पहेला गुणस्थाने न होय ने १४मा गुणस्थाने पण न होय ए क्यो भाव?
–उपशमभाव.
(प४) संसारदशामां सळंग रहेनार भाव क्यो?
–उदयभाव.
(पप) आव्या पछी कदी जाय नहि–ए क्यो भाव?
–क्षायकभाव.
(प६) ज्ञाननो क्षायकभाव कइ गतिमां होय?
–मनुष्यगतिमां.
(प७) श्रद्धानो क्षायकभाव कइ गतिमां होय?
–चारे गतिमां होइ शके.
(प८) चारित्रनो क्षायकभाव कई गतिमां होय?
–मनुष्यगतिमां.