Atmadharma magazine - Ank 250
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 25 of 37

background image
ः २२ः श्रावणः २४९०
(प९) श्रद्धानो क्षयोपशमभाव कई गतिमां होय?
–चारे गतिमां.
(६०) ज्ञाननो क्षयोपशमभाव कइ गतिमां होय?
–चारे गतिमां होय; (चारित्रनो क्षयोपशमभाव मनुष्य अने
तीर्यंचगतिमां ज संभवे.)
(६१) ज्ञाननो क्षयोपशम न होय–एम क्यारे बने?
–केवळज्ञान थाय त्यारे.
(६२) एकवार नाश पाम्या पछी फरी आवी शके–ए क्यो भाव?
–उपशमभाव.
(६३) एकवार नाश पाम्या पछी फरी कदी न आवे एवा बे भाव कया?
–उदयभाव अने क्षयोपशमभाव.
(६४) राग ते क्यो भाव?
–उदयभाव.
(६प) मतिज्ञान ते क्यो भाव?
–क्षयोपशमभाव.
(६६) मोक्ष ते क्यो भाव?
–क्षायकभाव.
(६७) मतिज्ञानावरणनो संपूर्ण क्षय थाय त्यारे कयुं ज्ञान प्रगटे?
–केवळज्ञान.
(६८) उपशमभावना केटला प्रकारो?
–बे.
(६९) क्षायकभावना केटला प्रकारो?
–नव.
(७०) क्षयोपशमभावना केटला प्रकारो?
–अढार.
(७१) उदयभावना केटला प्रकारो?
–एकवीस.