Atmadharma magazine - Ank 253
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: २४ : : कारतक :
बीजुं जे ते जाणवामां रोकाई रहे ने आत्माना हित माटे प्रयोजनभूत अध्यात्मतत्त्व
जाणे तो कल्याण थाय नहि.
द्रव्य पोते पोताना स्वपरिणामथी ज ऊपजे ने अन्य द्रव्य तेने उपजावे
नहि,–वस्तुस्वरूपनो आ सिद्धांत बधांय द्रव्योमां लागु पडे छे. जगतमां एक्केय
द्रव्य एवुं अपवादरूप नथी के जे अन्य द्रव्यना स्वभावपणे ऊपजतुं होय.
शुद्धभावपणे के अशुद्धभावपणे पोताना परिणामथी जीव पोते ज स्वयमेव ऊपजे
छे, तेमां छए कारक तेना स्वतंत्र छे, बीजा द्रव्योनो तेमां किंचित पण हाथ नथी.
जो पुद्गलकर्म जीवने रागादिक उपजावतुं होय तो ते पुद्गलो ज जीवना परिणाम
साथे तन्मय थई जाय; केमके जे जेने उपजावे ते तेनाथी जुदुं न होय. जेम माटी
घडाने उपजावे छे तेथी माटी ते घडाथी जुदी नथी. पण कुंभकार घडाने उपजावतो
नथी तेथी ते कुंभकार माटीमय नथी पण माटीथी भिन्न छे. माटीनो घडो कुंभारना
शरीरना आकारे नथी उपजतो पण माटीना ज आकारे ऊपजे छे. माटीनो घडो फूटी
जाय तेथी कांई कुंभारना शरीरमां भांगतूट थती नथी, ने कुंभारमां कांई थाय तेथी
कांई घडो फूटतो नथी; आ रीते कुंभारने अने घडाने भिन्नता छे; तेओ बंने
भिन्न भिन्न पोतपोताना स्वभावपणे ऊपजे छे, बीजाना स्वभावपणे कोई
ऊपजतुं नथी, तेम आत्मा अने पुद्गल बंने पोतपोताना परिणाम–स्वभावपणे
भिन्न भिन्न ज ऊपजे छे. आत्मा पुद्गलपरिणामने, के पुद्गलो जीवपरिणामने
ऊपजावता नथी. आचार्यदेव कहे छे के अरे भाई! परद्रव्य तो तने रागादिकनुं
उत्पादक नथी तो तेना उपर कोप शो? परद्रव्यने राग–द्वेष उपजावनारुं जे माने
तेने क्रोधादिभाव कदी मटे नहि, अज्ञान मटे नहि. वस्तुस्वरूपने जाणे तो
सम्यग्ज्ञान थाय ने अज्ञान टळे; अने अज्ञान टळतां ज्ञानस्वरूपे ज परिणमतो
आत्मा रागादिनो अकर्ता थाय छे.
आत्मा रागपरिणाम करे छे त्यां पुद्गलकर्म निमित्त छे; परंतु त्यां ते
आत्मा शुं निमित्तकर्मपणे ऊपजे छे?–ना; कर्मथी भिन्न एवा पोताना रागपणे ज
ते ऊपजे छे; कर्मपणे ते ऊपजतो नथी. जो ते कर्मना स्वभावपणे ऊपजतो होय तो
आत्मा जड थई जाय. जगतमां जे कार्य ऊपजे ते तेना ऊपजावनारना आकारे
(स्वरूपे) ज थाय. ज्ञानीनुं कार्य ज्ञान–आकारे ऊपजे छे. अज्ञानीनुं अज्ञान–
आकारे ने जडनुं जड–आकारे ऊपजे छे. ज्ञानी कहे छे के–जगतमां कोई द्रव्य बीजा
द्रव्यना स्वरूपे ऊपजतुं होय, के बीजुं द्रव्य पहेला द्रव्यने पोताना स्वरूपे
ऊपजावतुं होय एवुं अमने तो देखातुं नथी; केमके अमे वस्तुस्वरूपने देखनारा
छीए. जेओ भ्रमद्रष्टिथी जुए छे तेओने ज एक द्रव्य अन्य