Atmadharma magazine - Ank 253
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: ३६ : : कारतक :
जुओ, केटली सरस भूमिका बांधी छे!! चारे गतिना दुःखनो जेने त्रास थयो छे ने
तेनाथी छूटवा माटे जे परमात्मस्वभाव समजवा मांगे छे–एवा शिष्यने माटे आ
शास्त्रमां परमात्माना स्वरूपनो प्रकाश कर्यो छे. आ कांई एकला प्रभाकरभट्टनी
वात नथी–पण चार गतिना दुःखोथी जेने छूटवुं होय एवा दरेक जिज्ञासु जीवे
पोताने प्रभाकरभट्ट जेवो समजीने आ शास्त्र सांभळवानुं छे.
वळी आमां ए वात पण शिष्यने ख्यालमां आवी के परमात्मस्वरूप जाणवुं
ते ज चारगतिना दुःखथी छूटवानो उपाय छे; माटे ते मारे जाणवुं जोईए, हे
स्वामी! आप ते परमात्मस्वभावनो एवो उपदेश संभळावो के आपना प्रसादथी
हुं ते समजीने चार गतिना दुःखोथी छूटुं. जुओ, आ समजनारनी धगश!
आवी धगशवाळा जिज्ञासुशिष्यने परमात्मस्वरूप प्रगटवानो उपाय आ
परमात्मप्रकाशमां बतावीने संतोए उपकार कर्यो छे.
पाटनगरमां प्रभु पधार्या: अमदावादना होनहार जिनमंदिरमां बिराजमान
थनारा जिनबिंबो–जेनी प्रतिष्ठा जामनगरमां पंचकल्याणक महोत्सव प्रसंगे थई
हती ते भगवंतोनी पधरामणी आसो वद पांचमना रोज अमदावाद शहेरमां थतां
हजार जेटला भक्तजनोए उमंगभर्युं भव्य स्वागत कर्युं हतुं. जिनमंदिर माटे खूब
ज आतुरताथी राह जोई रहेल अमदावादना मुमुक्षुमंडळने पोताना आंगणे
प्रभुजी पधारतां घणो हर्षोल्लास हतो. सीमंधर भगवान, आदिनाथ भगवान
अने महावीर भगवानना भव्य स्वागतमां गुजरातना अनेक भाईओए पण
भक्तिपूर्वक साथ पूराव्यो हतो, ने आखो दिवस आनंदपूर्वक भक्ति–पूजन–
अभिषेक वगेरे कार्यक्रम रह्यो हतो. पाटनगरने योग्य भव्य जिनमंदिर माटेनी
अमदावाद मुमुक्षुमंडळनी भावना शीघ्र पूरी थाओ...एवी सद्भावनापूर्वक मंगल
वधाई!
जिनमंदिरशिलान्यास: जसदण (सौराष्ट्र) मां आसो सुद दसमना रोज दि.
जिनमंदिरनुं शिलान्यास राजकोटना शेठश्री मोहनलाल काळीदास जसाणीना
सुपुत्र श्री कान्तिभाईना सुहस्ते थयुं. स्व. मोहनलालभाईने आ जिनमंदिरने
माटे खास लागणी हती. आ मंगल कार्य माटे जसदणना मुमुक्षुओने मंगल
वधाई!