* सोनगढमां पू. गुरुदेव सुखशांतिमां बिराजे छे. प्रवचनमां सवारे
थी ‘परमात्मप्रकाश’ शरू थयेल छे. बपोरे समयसारमांथी सर्वविशुद्धज्ञान–अधिकार
चाली रह्यो छे.
छपाईने बाईन्डींग चाली रह्युं छे, लगभग आ मासमां तैयार थई जशे.
‘आत्मप्रसिद्धि’ हिन्दीमां छपाई गई छे.
स्वा. मं. ट्रस्टना प्रमुख अने मुंबई मुमुक्षुमंडळना उपप्रमुख छे) तेमनी पसंदगी थई
छे. तेमना द्वारा पवित्र तीर्थोनी वधु ने वधु सेवा थाओ–एम ईच्छीए.
विस्तारवाळो छे, ने तेमां अमुक भागमां चंदनवृक्षो पण छे. जे साधक सन्तोनी भूमिने
पहाडीनो एक भाग छे. आ संबंधमां श्री तीर्थक्षेत्र कमिटिना सभ्य श्री रतनचंद
चुनीलाल झवेरी ‘
वगैरह) हैं वह दूसरी पहाडियोंसे पृथक् हैं, सारा पार्श्वनाथ पहाड अनेक पहाडियोंकी
हारमाला हैं; दूसरी पहाडियो जो ईस पर्वतसे लगी हूई है....जंगल है....’
चन्द्रप्रभुस्वामी छे अने तेनी दक्षिणवेदीमां मुख्यरूप श्री सीमंधरस्वामीनी मूर्ति
बिराजमान छे. मूर्ति लगभग दोढ फूट मोटी छे, सफेद पाषाणनी अने मनोज्ञ छे. आ
मूर्तिना शिलालेखमां प्रतिष्ठा संवत १प०७ लखेल छे, एटले आजथी लगभग पांचसो
वर्ष प्राचीन आ प्रतिमा छे. आ प्रतिमाजीनो फाटो मेळववा तजवीज चाली रही छे.