Atmadharma magazine - Ank 254
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: १६ : आत्मधर्म : मागशर :
अहा, ए अंजनीने मुनिराजना दर्शनथी जे प्रसन्नता थई तेनुं वर्णन कोण करी
नमस्कार हो ए मुनिराजने.....के जेमनुं दर्शन पण जीवोने आनंदकारी छे.
(सती अंजनाना जीवनना आगळ–पाछळना
प्रसंगो जाणवा ‘बे सखी’ नामनुं पुस्तक वांचो)