Atmadharma magazine - Ank 254
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: २० : आत्मधर्म : मागशर :
भेगो ने भेगो ज छे, तेने तुं केम नथी ओळखतो? तारो परमात्मा ताराथी
क््यांय बहार नथी, तारो परमात्मा तारामां ज वसे छे, तेने अंतरमां देख. अरे,
जे परमात्माने देखतां वेंत ज पूर्वे करेला कर्मो क्षणभरमां तूटी जाय छे–एवो
परमात्मा पोते ज छो.–एमां कांई फेर नथी. ज्ञानने अंतरमां स्थिर करवारूप जे
परमनिर्विकल्प समाधि तेना वडे पूर्वे बांधेला सर्वे कर्मो चूर्ण थई जाय छे. एटले
अज्ञानथी बंधायेलां कर्मो आत्मज्ञानथी ज तूटे छे. निजस्वरूपने देख्युं त्यां कर्मनो
भूक्को! सिंहनी ज्यां गंध आवे त्यां हरणीयां ऊभां न रहे, तेम चैतन्य भगवान
शार्दूलसिंह ज्यां ज्ञानचक्षु खोलीने जाग्यो त्यां कर्मोरूपी हरणीयां भाग्या.
आत्मामां कर्मो केवा? अहा, मारामां ज परमात्मपद भर्युं छे–एम जे देखे तेने
जगतना क््यां विषयो के क््या वैभवो ललचावी शके? परमात्मपदथी मोटुं
जगतमां कोण छे के तेने ललचावे? परमात्मपदना अचिंत्य आनंदवैभवने
पोतामां जेणे देख्यो तेना चित्तमां जगतना कोई पदार्थोनो महिमा रहे नहि.
परमात्मपदनो प्रेम जाग्यो. त्यां जगतनो प्रेम रहे नहि. हे जीव! संतो फरीफरीने
कहे छे के परमात्मा तारी पासे ज छे, तेनो प्रेम कर. आवा शुद्धनयना बळथी राग
साथेनी एकता तोडीने आत्मा स्वसमयरूप परिणम्यो, ते ज मोक्षमार्ग छे.
मोक्ष माटेनी वंशपरंपरा
तारी साची वंशपंरपरा तो ए छे के परमात्मपदने साधे. तारी
वंशपरंपरामां पूर्वे अनंता जीवो केवळज्ञान पामी पामीने मोक्षे सीधाव्या छे. पूर्वे
अनंतवार तें मनुष्यअवतार कर्या तेमां तारा पिता केवळी थईने मोक्ष पाम्या–एवा
अनंता पिता मोक्ष पाम्या; ते ज रीते तारा अनंता मनुष्यअवतारमां अनंत पुत्रो
थया ने ते पुत्रो तारी आज्ञा लईलईने मुनि थवा चाल्या गया ने मोक्ष
पाम्या....एवा अनंत पिता ने अनंत पुत्रो मोक्ष पाम्या....ते सौ आ रीते
ज्ञानस्वरूपना अनुभवथी स्वसमयरूप थईने मोक्ष पाम्या छे. ने तुं पण ए ज
मार्गे मोक्षने साध....ए ज तारो साचो वंश छे. चैतन्यनो वंशवेलो तो एवो छे के
तेमांथी केवळज्ञान ने सिद्धपद ज फाले. चैतन्यवेलमांथी विकार न फाले. अहा,
आवा ज्ञानस्वरूपने साधीने मोक्ष पामवो–ए अरिहंतोना ने सिद्धना वंशनी टेक छे.
धर्मी कहे छे के हुं तो तीर्थंकरोना कूळनो छुं, एटले जे मार्गे तीर्थंकरो संचर्या ते ज
मार्गने साधवो ते मारी टेक छे. तीर्थंकरोना कूळनी (समकिती संतोनी) आ टेक छे
के शुद्धनयवडे स्वसन्मुख थईने आत्माने साधे.