Atmadharma magazine - Ank 254
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: वर्ष २२ – : अंक बीजो
ताको वंदना हमारी है
“अमारी दशा एक चेतनारूपे ज बिराजमान छे
अने अन्य परभावोथी त्रणेकाळ जुदी छे”–एम जे
पोताना स्वरूपने आठे पहोर शुद्ध अनुभवे छे,
आनंदना धाम गुणसमूहनो जेणे विस्तार कर्यो छे, परम
प्रभावरूप परिपूर्ण अखंड ज्ञान अने सुखना निधानने
देखीने जेणे बीजी (–परभावनी) रीत छोडी दीधी छे,–
आवी अवगाढ द्रढ प्रतीति जेने थई छे–
* तेने अमारी वंदना छे *
दशा है हमारी एक चेतना बिराजमान,
आन परभावनसों तिहुंकाल न्यारी है;
आपनो स्वरूप शुद्ध अनुभवें आठों जाम,
आनंदको धाम गुणग्राम विसतारी है;
परम प्रभाव परिपूरण अखंड ज्ञान,
सुखको निधान लखी आन रीति डारी है;
ऐसी अवगाढ गाढ आई परतीति जाके,
कहे दीपचंद ताको वंदना हमारी है.
(ज्ञानदर्पण– प)