चैतन्य हीरो...जेमां एकाग्र थतां एक क्षणमां केवळज्ञाननी अचिंत्यविभूति प्रगटे. अरे
जीव! आवो चमत्कारी चैतन्यहीरो तारामां छे ते प्राप्त करवानो अतिदुर्लभ सुअवसर
तने मळ्यो छे तो काळनी एक क्षण पण व्यर्थ गुमाव्या विना तारा चैतन्यहीराने देख.
आ चैतन्यहीरा पासे जगतमां कोईनी महत्ता नथी.
आत्मा उपादेय छे. ते ज ज्ञानमां श्रद्धामां अनुभवमां लेवा जेवो छे. पोताना आवा
परमात्मतत्त्वने सन्तो ज जाणे छे.
पण विकल्पथी पार एवा निर्विकल्प चैतन्यनो अनुभव तेने नहि थाय. विकल्पने
साधन माने ते विकल्पनुं अवलंबन छोडीने आघो जाय नहि, एटले विकल्पथी पार
एवुं चैतन्यतत्त्व तेना अनुभवमां आवे नहि. भाई, चैतन्यतत्त्व अने विकल्प–ए
बंनेनी जात ज जुदी छे; चैतन्यमांथी विकल्पनी उत्पत्ति थती नथी, अने विकल्पनो
प्रवेश चैतन्यमां थतो नथी. आम अत्यंत भिन्नताने ऊंडेथी विचारीने तुं चैतन्यनी ज
भावनामां तत्पर रहे.