त्रणे काळे होय. अने वळी कुंदकुंदाचार्यने तो विदेहक्षेत्रमां साक्षात् तीर्थंकर
भगवाननो भेटो पण थयो हतो, आठ–आठ दिवस सुधी भगवान सीमंधर
भगवंतो बिराजे छे, ज्यां गणधरदेवो अने मुनिवरोना टोळा आवा मोक्षमार्गने
साधी रह्या छे; तेमने नजरे नीहाळीने, अने तेवो मोक्षमार्ग पोताना आत्मामां
प्रगटावीने आचार्यदेव कहे छे के हे भाई! मोक्षमार्ग तो आ शुद्ध ज्ञानमय
आत्माना आश्रये रत्नत्रयनी उपासनाथी ज थाय छे, –एम अमारा जोवामां आवे
छे, बीजो कोई मोक्षमार्ग अमारा जोवामां आवतो नथी. माटे तुं पण शुद्ध ज्ञानमय
स्वद्रव्यनो आश्रय करीने आवा ज मोक्षमार्गने उपास. मुमुक्षुओए आ एक ज
मार्ग अत्यंत आदरपूर्वक सेववा योग्य छे.
प्रसंगे मार्ग शुं? –एक ज मार्ग के–
हितमार्ग सूझाडे छे, ने कोई अलौकिक
धैर्य तथा अचिंत्य ताकात आपे छे.