Atmadharma magazine - Ank 256
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: २२ : : महा :
पणे एक अंतर्मुहूर्त जे ध्यावे छे ते केवळज्ञान अने मोक्ष पामे छे. माटे हे मोक्षार्थी!
बीजा घणा बाह्यपदार्थोथी तारे शुं प्रयोजन छे? आ चैतन्य परमात्मानुं ज तुं ध्यान
कर.
निजस्वरूप उपर मीट मांड...के एकक्षणमां मोक्ष. आवा निजस्वरूपना ध्याननो
हंमेश अभ्यास कर्तव्य छे. अत्यारे पण जेटलुं ध्यान छे तेटलुं मोक्षनुं कारण छे.
चैतन्यना वीतरागी ध्यान सिवाय मोक्षनुं कारण बीजुं कोई नथी.
शुद्धपरमात्मतत्त्वनी भावना वगरनुं शास्त्रज्ञान पण मोक्षनुं सहकारी कारण
थतुं नथी. शास्त्रज्ञाननो हेतु तो शुद्धपरमात्मतत्त्वनी भावना (श्रद्धा, ज्ञान, एकाग्रता)
करवानो ज हतो. ए हेतुने जे भूली जाय छे तेने तो शास्त्रज्ञान मोक्षने माटे निरर्थक छे.
अने जेणे आत्मा जाण्यो तेने कदाचित शास्त्रज्ञान विशेष न होय तो पण
बधा आगमनो सार तेणे जाणी लीधो छे. केवळज्ञाननुं सामर्थ्य आत्मामां छे, आवा
आत्माने जेेणे जाण्यो तेणे सर्व जाणी लीधुं. बार अंगनुं पूरुं ज्ञान तेने ज थई शके
छे के जे आत्माने जाणतो होय. अज्ञानीने बार अंगनुं ज्ञान कदी न होय. ज्ञानीने
बार अंगनुं शास्त्रज्ञान कदाच न होय–एक अंगनुंय ज्ञान न होय परंतु बारेअंगना
सारभूत जे शुद्धात्मा तेने जाण्यो त्यां तेमां बारे अंगनुं रहस्य समाई गयुं. १२
अंगनुं–१४ पूर्वनुं रहस्य शुं? के शुद्धात्मानी अनुभूति ते बार अंगनुं रहस्य, ते ज
सर्व जिनशासननो सार. जेने शुद्धात्मानी अनुभूति नथी तेणे जैनशासनने जाण्युं
नथी.
शुद्धात्मानो मार्ग जेणे जाण्यो तेणे जीवनी बधी मार्गणा जाणी लीधी. अने जो
शुद्धात्माने न जाणे तो एकली मार्गणाना भेदोमांथी मार्ग हाथ आवे तेम नथी.
साचोजीव शुं छे तेने ओळखे पछी तेना भेद प्रभेद केटला छे ने कयां छे तेनी साची
शोध करी शके. पण जो जीवनुं साचुं स्वरूप न जाणे तो ईन्द्रियादिने ज जीव मानी ल्ये,
ने साचो जीव तेना जाणवामां आवे नहि.
जेणे आत्मा जाण्यो तेणे सर्व जाण्युं. लोकालोकने तारे जाणवा होय तो आत्माने
जाण. लोकालोक तरफ वळीने लोकालोकने जाणवा मांगे तो लोकालोकनुं पूरुं ज्ञान कदी
थाय नहि. पण जो आत्मामां लीन थईने आत्माने जाणे तो आत्मानी केवळज्ञानशक्ति
खीलतां लोकालोकनुं पूरुं ज्ञान सहेजे थई जाय छे. आ रीते स्वसन्मुख मार्ग छे.
भाई, तारा चैतन्यना मारगडा जगतथी जुदा छे. जगतने एककोर राखीने
आत्मा तरफ वळ, तो ज तने तारी मुक्तिनो मारग हाथमां आवशे.