पणे एक अंतर्मुहूर्त जे ध्यावे छे ते केवळज्ञान अने मोक्ष पामे छे. माटे हे मोक्षार्थी!
बीजा घणा बाह्यपदार्थोथी तारे शुं प्रयोजन छे? आ चैतन्य परमात्मानुं ज तुं ध्यान
कर.
चैतन्यना वीतरागी ध्यान सिवाय मोक्षनुं कारण बीजुं कोई नथी.
करवानो ज हतो. ए हेतुने जे भूली जाय छे तेने तो शास्त्रज्ञान मोक्षने माटे निरर्थक छे.
आत्माने जेेणे जाण्यो तेणे सर्व जाणी लीधुं. बार अंगनुं पूरुं ज्ञान तेने ज थई शके
छे के जे आत्माने जाणतो होय. अज्ञानीने बार अंगनुं ज्ञान कदी न होय. ज्ञानीने
बार अंगनुं शास्त्रज्ञान कदाच न होय–एक अंगनुंय ज्ञान न होय परंतु बारेअंगना
सारभूत जे शुद्धात्मा तेने जाण्यो त्यां तेमां बारे अंगनुं रहस्य समाई गयुं. १२
अंगनुं–१४ पूर्वनुं रहस्य शुं? के शुद्धात्मानी अनुभूति ते बार अंगनुं रहस्य, ते ज
सर्व जिनशासननो सार. जेने शुद्धात्मानी अनुभूति नथी तेणे जैनशासनने जाण्युं
नथी.
साचोजीव शुं छे तेने ओळखे पछी तेना भेद प्रभेद केटला छे ने कयां छे तेनी साची
शोध करी शके. पण जो जीवनुं साचुं स्वरूप न जाणे तो ईन्द्रियादिने ज जीव मानी ल्ये,
ने साचो जीव तेना जाणवामां आवे नहि.
थाय नहि. पण जो आत्मामां लीन थईने आत्माने जाणे तो आत्मानी केवळज्ञानशक्ति
खीलतां लोकालोकनुं पूरुं ज्ञान सहेजे थई जाय छे. आ रीते स्वसन्मुख मार्ग छे.