Atmadharma magazine - Ank 257
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 12 of 37

background image
march: 1965: वर्ष २२: अंक पांचमो
आत्मा
* आत्मामां एवी कोई शक्ति नथी के परनां कार्य करी शके.
* आत्मामां एवो कोई गुण नथी के जे परनां कार्य करी शके.
* आत्मानी कोई पर्यायमां एवी ताकात नथी के परनां कार्य करी
शके.
* आत्माना शुभभावमां एवी ताकात नथी के परनां काम करे.
* आत्माना अशुभभावमांय एवी ताकात नथी के परनां काम करे.
* आत्मामां एवो कोई गुण नथी के शुभ–अशुभ विकारने करे.
* आत्माना शुद्धभावमांय एवी ताकात नथी के परनां काम करे.
* आत्मामां एवो स्वभाव छे के परने न करे, ने विकारने न करे.
* आत्मामां एवो स्वभाव छे के पोताना शुद्धभावने करे.
* अहा, परथी केटली भिन्नता!! ने विकारथी पण केवी भिन्नता!!
केवुं निरपेक्ष आत्मतत्त्व! अकर्तास्वभाव....एकलो शुद्धतानो ज
पिंडलो!! एना स्वीकारथी पर्यायमां शुद्धता ज खीले छे, अशुद्धता
टळे छे, अने परना सबंधथी रहित विकाररहित परम शुद्ध सिद्धपद
प्रगटे छे. आवा एक आत्माने जेणे जाणी लीधो तेणे दुनियामां
जाणवायोग्य बधुं जाणी लीधुं.
–४७ शक्तिना प्रवचनमांथी