अने सर्वज्ञतानुं बहुमान अमने भवमां डुबवा देतुं नथी. आपना चरणनो सहारो
लेनारा भव्य जीवो परभावमां डुबता बचीने मोक्षने साधे छे. मोक्षमार्ग आपे बताव्यो
छे तेथी आप ज मोक्षमार्गना नेता छो, आप ज मोक्षमार्गे दोरी जनारा छो.
उत्तम जीवो छे ते बधाय आपनी ज स्तुति करे छे.
ज्ञानीने उल्लसे छे तेवो अज्ञानीने नहि उल्लसे. भले भगवान छे तो परद्रव्य,
पण पोतानुं ईष्ट–साध्य एवी जे वीतरागता ने सर्वज्ञता ज्यां भगवानमां देखे छे
त्यां ते गुण प्रत्येना बहुमानथी धर्मीनुं हृदय उल्लसी जाय छे. वीतरागतानो जेने
प्रेम छे ते वीतराग सर्वज्ञ परमात्माने देखतां भक्ति करे छे. भक्ति वखते भले
शुभराग छे पण तेमां बहुमान तो वीतरागस्वभावनुं ज घूंटाय छे, ने एनुं ज
नाम वीतरागनी भक्ति छे.
आ शब्दोथी के आ विकल्पोथी आपनी स्तुति पूरी नहि थाय. ज्यारे आ विकल्प
तोडीने निर्विकल्पपणे स्वरूपमां ठरशुं ने वीतराग थाशुं त्यारे आपनी स्तुति पूरी
थशे.
होय...त्यारे तो ए दिव्य स्तुति सांभळतां त्रणलोकना जीवो मुग्ध बनीने थंभी
जाय छे, देवो तो शुं, तीर्यंचोना टोळां पण स्तब्ध बनी जाय छे के अरे, आ तो
कोण स्तुति करनार! ने ईन्द्र जेवा जेनी आवी स्तुति करे ए भगवाननो महिमा
केटलो? एम सर्वज्ञताना महिमामां ऊंडा ऊतरी जतां कोई कोई जीवो तो
सम्यग्दर्शन पण पामी जाय छे. अहा, सर्वज्ञनी स्तुति कोनुं मन मुग्ध न करे?
आत्मानुं हित करवा जे तैयार थयो