ज शी करवी! केवळज्ञान खीली गयुं तेना महिमानी शी वात?.....सर्वज्ञनी स्तुतिमां
भेगो आत्मानो महिमा घूंटातो जाय छे, ते खरी स्तुति छे, ने तेनो ज खरो लाभ छे.
आदरणीय छे. चैतन्यनी उत्कृष्ट वीतराग पदवी पासे जगतना बधाय पद तूच्छ भासे
छे.
एटले के वीतरागभावना घोलन वडे रागने तोडीने सर्वज्ञताने पामशुं. तारी भक्ति
करतां करतां अमेय तारा जेवा थईशुं. भगवान जेवो भाव पोतामां प्रगट करवो ते ज
भगवाननी परमार्थ स्तुति छे.
भागे छे.
रागने ते कदी आदरे नहि; बहारमां लक्ष जाय तो वीतराग अर्हंतदेवनो आदर ने
अंदरमां लक्ष जाय तो वीतरागी आत्मस्वभावनो आदर. एनाथी विरुद्ध बीजा कोईने
ते आदरे नहि; एटले हवे वीतरागस्वभावना आदरथी रागने तोडीने वीतराग थये ज
छूटको.
दिव्यप्रभा पासे ईन्द्रना मुगटमणि अमने झांखा लागे छे. जगतनो वैभव अमने प्रिय
नथी, अमने तो आपना चरणोनी भक्ति ज प्रिय छे. अहा, अंतमां सर्वज्ञपणाने
साधतां साधतां साधकसन्तोने भगवान प्रत्ये भक्तिनो प्रेम उल्लस्यो छे. जेम माता
प्रेमवश पोताना पुत्रना गाणां गाय तेम अहीं भगवानमां सर्वज्ञता, वीतरागता वगेरे
जे गुणो प्रगट्या छे तेनी लगनी लगाडीने, परम प्रेमथी भक्त तेनां गाणां गाय छे.
पोताने ते गुण गोठया छे ने पोतामां तेवा गुणो प्रगट करवा मांगे छे तेथी तेनां गाणां
गाय छे. ए गाणां कोई बीजाने माटे नथी गाता, पण पोतामां ते गुणो