आत्मा तरफना ज्ञानथी आत्मा जणाय.
* आत्मा तरफनुं ज्ञान केवुं छे?
आत्मा तरफनुं ज्ञान राग वगरनुं, वीतराग स्वसंवेदनरूप छे.
*आत्मा केवो छे?
त्यारे ज आत्मा सम्यक्पणे जणाय छे. पर तरफनुं ज्ञान के रागादि भावो तेनाथी
आत्मा जणातो नथी.
बीजा अनेक परभावोथी के बीजा जाणपणाथी मारे कांई प्रयोजन नथी. मने मारा
आत्मानो अनुभव थाय–ए सिवाय बीजुं कांई मारे जोईतुं नथी. माटे क्षणमात्रमां ए
अनुभव केम थाय–ते ज मने बतावो.
येन निजात्मा ज्ञायते स्वामीन् एक क्षणेन्।।१०४।।
आत्मज्ञान वडे ज थाय छे,–एम अंतरमां विचारीने विनयपूर्वक गुरु पासे तेनी ज
मांगणी करे छे के हे स्वामी! मारे बीजा विकल्पोनुं कांई प्रयोजन नथी, मारे तो
आत्मज्ञान जे रीते थाय ते ज उद्यम करवो छे. माटे शीघ्र आत्मज्ञान थाय एवो उत्तम
उपदेश आपो.