Atmadharma magazine - Ank 259
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: वैशाख : आत्मधर्म : १३ :
आ रीते वक्ता अने श्रोतारूप निमित्ते–उपादानना कुल चार प्रकार कह्या, ते
दरेकमां उपादान–निमित्त बंनेनी स्वतंत्रता समजवी. अने आ द्रष्टांत अनुसार
भिन्नभिन्न द्रव्योमां सर्वत्र उपादान–निमित्त बंनेनी स्वतंत्रता समजी लेवी....ने
पराश्रयबुद्धि छोडीने स्वाश्रयवडे मोक्षमार्ग साधवो....ते तात्पर्य छे.
(श्री बनारसीदासजीनी उपादान–निमित्त वचनिका उपरना प्रवचनमांथी)
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अंतर्मुहूर्तमां आत्माने साधवानी वात
प्रश्न:– घणा जीवोए एक अंतर्मुहूर्तमां आत्माने साधी लीधो छे, तो अमे पण
उत्तर:– भाई, एक अंतर्मुहूर्तमां आत्मा साधी लेवानी जेनी तैयारी होय तेने
तेनो केटलो प्रेम होय?–“हमणां बीजुं करी लउं ने आत्मानुं पछी करीश”–एवो भाव
तेने आवे ज नहि. ‘आत्मानुं पछी करशुं ने हमणां बीजुं करी लउं’ एनो अर्थ ए थयो
के तेने आत्मा करतां बीजुं वधारे वहालुं छे, स्वभावना कार्य करतां परभावना कार्यनो
प्रेम तेने वधु छे. जेने जे कार्यनी अत्यंत आवश्यकता लागे तेने ते पहेलां करे, तेमां
मुदत न मारे; ने जेनी आवश्यकता न लागे ते कार्य पछी करे, तेमां मुदत नाखे.
आत्मानी ओळखाणनो जेने खरेखरो भाव जागे तेनो उद्यम आत्मा तरफ तरत ज
उपडया वगर रहे नहिं. आचार्यदेव वारंवार कहे छे के आजे ज आत्माने
अनुभवो...तत्काल आत्मानो अनुभव करो. कदी एम नथी कह्युं के “आ पछी करजो”.
पछी करीशुं एम कहे तो तेनो अर्थ ए छे के वर्तमानमां तेने आत्मानो खरो प्रेम के
रुचि जागी नथी–एवो जीव अंतर्मुहूर्तमां आत्माने क््यांथी साधी शकशे? हा, जेने
आत्मानी खरेखरी धगश अने लगनी अंतरमां जागी होय ते अंतरना प्रयत्न वडे
अंतर्मुहूर्तमां पण आत्मानो अनुभव करी ल्ये छे. पण एवा आत्मानी अंतरनी तैयारी
कोई जुदी ज होय छे.