Atmadharma magazine - Ank 259
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: वैशाख : आत्मधर्म : १प :
जे कोई सत्तास्वरूप वस्तु छे ते द्रव्य–गुणस्वरूप छे; अभेदरूपथी सत्ताने जुओ
तो ते द्रव्य छे; अने जो भेदरूपथी जुओ तो ते सत्ता अनंत गुणरूप छे. अभेदथी जुओ
तो एक द्रव्य, तेने ज भेदथी जुओ तो अनंत गुणो,–आम सत्ता अनेकान्तस्वरूप छे.
अनादि अनंत आवुं ज वस्तुस्वरूप छे, तेने अनेकान्त प्रसिद्ध करे छे. वस्तु स्वयमेव
अनेकान्तस्वरूप छे, तेने कोईनो सहारो नथी. आवा अनेकान्तस्वरूपने प्रकाशनारी
जिनवाणीने नमस्कार कर्या छे. ‘ते सदाय प्रकाशमान रहो’ एम कहीने तेनुं बहुमान
कर्युं तेमां नमस्कार आवी गया.
जे वाणीने नमस्कार क््र्या ते वाणी केवी छे? के भिन्न आत्माने देखनारी–
अनुभव–नारी छे; प्रत्यक् आत्मा एटले भिन्न आत्मा; भिन्न आत्मा कहो के
शुद्धआत्मा. शुद्धआत्मा एटले सर्वज्ञ–वीतरागस्वभावी आत्मा; आवा सर्वज्ञस्वरूपने
अनुसरनारी एटले के तेना स्वरूपने कहेनारी जिनवाणी छे. आवी सर्वज्ञस्वरूप–
अनुसारिणी जिनवाणीने न माने, तेने अचेतन कहीने निषेधे तो चाले नहि. भाई, ते
वाणी भले अचेतन छे, पण ते सर्वज्ञस्वरूपने अनुसरनारी छे, जेवुं सर्वज्ञस्वरूप छे
तेवुं ज स्वरूप ते कहे छे. ज्ञानमां जाणवानो स्वभाव छे, कहेवानो स्वभाव नथी;
वाणीमां कहेवानो स्वभाव छे, जाणवानो स्वभाव नथी, पण सर्वज्ञे जेवुं वस्तुस्वरूप
जाण्युं तेवुं ज वस्तुस्वरूप दिव्यध्वनिमां आवे छे, –एवो ज वाणीनो स्वभाव छे; तेथी
ते दिव्यध्वनिरूप वाणीने ‘सर्वज्ञस्वरूप–अनुसारिणी’ कही छे. एटले कोई पूछे के
‘अचेतन वाणीने नमस्कार केम कर्या? ’–तो तेनुं आमां समाधान आवी जाय छे.
कांई ज्ञानने आधारे वाणी नथी ने वाणीना आधारे ज्ञान नथी; बंने स्वतंत्र
छे. अने छतां एवो सहज मेळ छे के ज्ञान ज्यां सर्वज्ञपणे परिणम्युं त्यां वाणी पण
तेने अनुसरनारी थई. जेवुं शुद्धस्वरूप सर्वज्ञना ज्ञानमां आव्युं तेवुं ज वाणीमां आव्युं.
ज्ञानमां जे आव्युं तेनाथी विरुद्ध वाणीमां न आवे, तेथी आवी सर्वज्ञस्वरूपने
अनुसरनारी जिनवाणीनुं पण बहुमान कर्युं छे.
शंका–:
नमः समयसाराय’ एम कहीने मांगळिकना श्लोकमां शुद्धआत्मा ज
उपादेय कह्यो, अजीव वस्तु नमस्कार योग्य नथी अने शुद्धजीव ज नमस्कार योग्य छे–
एम कह्युं, ने अहीं वळी दिव्यध्वनिने नमस्कार कर्या? दिव्यध्वनि तो अजीव छे.
अचेतन छे, तेने केम नमस्कार कर्या?
समाधान:– भाई, ते वाणी शुद्धात्मानो प्रकाश करनारी छे, सर्वज्ञस्वरूप–
अनुसारिणी छे, तेथी निमित्तपणे ते पण बहुमानयोग्य छे. अहा, दिव्यध्वनिना
धोध....ए तो सांभळ्‌या