Atmadharma magazine - Ank 259
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: ३८ : आत्मधर्म : वैशाख :
चोथा गुणस्थाने सम्यग्दर्शननी साथे ज स्वानुभूति थई गई छे. स्वानुभूति
वडे आत्मा पोते पोताना स्वरूपमां प्रवेशीने शुद्ध थाय छे; एटले स्वानुभूति मोक्षनुं
प्रवेशद्वार छे. अने आ आत्मअनुभव परद्रव्यनी सहायताथी रहित छे. राग पण
अनुभवथी पर छे, तेनी सहाय पण अनुभवमां नथी.
अनुभव एटले शुं?
अनुभव एटले वस्तुनो प्रत्यक्ष आस्वाद, आत्माना अतीन्द्रिय आनंदनो
प्रत्यक्ष आस्वाद आवे तेनुं नाम आत्मानुभव छे.
प्रश्न:– कोईवार आत्मानी अनुभूति कहो छो, कोईवार ज्ञाननी अनुभूति कहो छो, तो
आत्मानी अनुभूति अने ज्ञाननी अनुभूति एमां कांई विशेषता छे? के बंने एक ज छे?
उत्तर:– एमां कांई विशेषता नथी; आत्मानी अनुभूति कहो के ज्ञाननी
अनुभूति कहो ते बंने एक ज छे; तेथी कह्युं के:–
आत्मानुभूतिरिति शुद्धनयात्मिका या
ज्ञानानुभूतिरियमेव किलेति बुद्धवा
....
शुद्धनयवडे जे शुद्ध आत्मानी अनुभूति छे, ते खरेखर ज्ञाननी ज अनुभूति छे;–
आम नक्की करीने शुं करवुं? के सदा सर्व तरफथी जे ज्ञानघन छे एवा आत्मामां
प्रवेशीने तेनो स्वानुभव करवो. आवा अनुभवथी आत्मा शुद्ध थाय छे. आत्मानो
अनुभव सर्व तरफथी ज्ञानमय छे, ते अनुभवमां रागने प्रवेशवानी मनाई छे.
आत्मानो अनुभव परनी तेमज परभावनी सहाय वगरनो छे. जे भावनो प्रवेश
अनुभवमां नथी थई शकतो ते परभाव अनुभवमां मददगार केम थाय? अनुभव तो
परभावनोक्षय करणशील छे.
विश्राम लेवानुं धाम तो अनुभवमां छे. आम जिज्ञासु शिष्ये लक्षमां लीधुं छे. त्यां
तेने एवो प्रश्न नथी ऊठतो के रागनी कांई सहाय हशे? व्यवहारनुं कांई अवलंबन हशे?
एक वात तो पकडी के मोक्षमार्ग तो स्वानुभवथी थाय. क््यारेक शास्त्रमां एम भाषा आवे
के शुद्ध आत्मानी अनुभूति करवाथी आत्मा शुद्ध थाय छे, अने कोई वार एम आवे के
ज्ञानमात्रनी अनुभूतिथी आत्मा शुद्ध थाय छे; तेमां शिष्यने प्रश्न ऊठे छे के शुद्ध आत्मानी
अनुभूति अने ज्ञाननी अनुभूतिमां कांई फेर छे? तो कहे छे के ना; बंनेमां कांई विशेषता
नथी, फेर नथी; शुद्ध आत्मानी अनुभूति अने ज्ञाननी अनुभूति बंने एक ज छे. शुद्धनयथी
आवा आत्माने अनुभवमां लेतां आत्मा शुद्ध थाय छे.–एनुं नाम मोक्षमार्ग छे.
ज्ञान ते आत्मानो स्वभाव छे, एटले ते आत्मा ज छे. ज्ञान कहो के आत्मा कहो,
शुद्धनयथी तेनो अनुभव थाय छे, पोते पोताना स्वरूपमां प्रवेशीने तेनो अनुभव करे छे.–
एमां कोई बीजानी उपाधि नथी, बीजानी सहाय नथी, बीजानी अपेक्षा नथी. जेथी