Atmadharma magazine - Ank 261
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: अषाड : आत्मधर्म : ३३ :
गढडाशहेरमां जिनबिंबस्थापन
सोनगढथी त्रीसेक माईल दूर आवेलुं गढडाशहेर ए पू. गुरुदेवना वडवाओनुं
मूळ गाम छे, गुरुदेव पण ए गाममां (मोसाळ) केटलोक वखत रह्या हता. अहीं
केटलाक मुमुक्षुओ वसे छे. तेमां श्री जगजीवन गोपालजी कामदारना मकानमां
गृहचैत्यालयनुं निर्माण करेल छे. आ चैत्यालयमां जेठ वद छठ्ठना रोज भगवानश्री
महावीरप्रभुनी स्थापना भाईश्री खीमचंद जेठालाल शेठना सुहस्ते थई. आ प्रसंगे
सोनगढथी स्पेश्यल बस तथा आसपासना गामोथी अनेक मुमुक्षुओ आवेल हता; आ
शुभकार्यना उल्लासमां शेठश्री खीमचंदभाई तरफथी रूा. २प०१) गढडा मुमुक्षुमंडळने
अर्पण करवामां आव्या हता. चैत्यालयमां बिराजमान करवा माटेना प्रतिमाजी पू.
गुरुदेवना स्व. वडील बंधु श्री खुशालभाई मोतीचंद (हा, गंगाबेन) तरफथी
आपवामां आव्या छे. भगवान पधार्या ते प्रसंग गढडा मुमुक्षुमंडळे उल्लासथी उजव्यो
हतो. आ प्रसंगे गढडा मुमुक्षु मंडळने मंगल वधाई!
सोनगढमां अष्टाह्निका दरमियान नंदीश्वर पूजनविधान थयुं हतुं.
श्रुतपंचमीपर्व श्रुतभक्तिपूर्वक उजवायुं हतुं. प्रवचनमां सवारे परमात्मप्रकाश अने
बपोरे कळशटीका वंचाय छे. त्रण चिठ्ठि उपरनां पू. गुरुदेवना खास प्रवचनो जे
अध्यात्मसन्देश नामना पुस्तकरूपे छपावाना छे, ते संबंधमां अनेक जिज्ञासुओ पूछे छे;
ते पुस्तकनुं लखाण लगभग चार महिना पहेलां तैयार करी पू. गुरुदेव पासे वंचावी
लीधेल छे, परंतु प्रेसमां छपावानी व्यवस्थामां जरा विलंब थयेल छे. पर्युषण
लगभगमां पुस्तक तैयार थई जवानी आशा छे. त्यार पहेलां जिज्ञासुओनी मांगणीथी
तेनो थोडोक नमूनो आत्मधर्ममां आप्यो छे–जे सौने गमशे.
मुमुक्षुमंडळोने सूचना
आथी सूचित करवामां आवे छे के
‘दसलक्षणीपर्युषण दरयिमान जे जे गामना
मुमुक्षुमंडळने के जैनसमाजने वांचनकारभाईनी
आवश्यकता होय तेमणे नीचेना सरनामे तुरत
सूचना मोकलवी जेथी ते संबंधी योग्य प्रबंध
वखतसर करी शकाय.
प्रचार कमिटी
श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
सोनगढ