Atmadharma magazine - Ank 262
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: ३० : आत्मधर्म : श्रावण :
ओने लख्या छे. (जो के जहानाबादना भाईओ उपर पण जुदो पत्र तेमणे लख्यो ज
हशे.) –आ रीते मुलतानना भाईओने पोताना पत्रनो उत्तर मळतां सहेजे बे त्रण
मास वीती गया हशे. आटला लांबा वखते ज्यारे पोताना जिज्ञासाभरेला प्रश्नोना
उत्तररूपे अध्यात्मरसभरपूर चिठ्ठि साधर्मी पासेथी प्राप्त थई हशे त्यारे ए
अध्यात्मसन्देश वांचीने मुलतानना भाईओने केटलो हर्षोल्लास थयो हशे? आजे
२०० वर्ष पछी पण ए चिठ्ठिनी हस्तलिखित प्रतो जुना शास्त्र भंडारोमां सचवायेली
पडी छे–ए उपरथी ख्यालमां आवशे के साधर्मीओ ते चिठ्ठिने केटली किंमत गणता हता.
एवी बे प्राचीन हस्तलिखित प्रतिओ उपरथी खूरई (सागर, मध्यप्रदेश) ना
‘कर्तव्यप्रबोध–कार्यलये’ लगभग पचास वर्ष पहेलां (वीर सं. २४४२मां) ए
रहस्यपूर्ण चिठ्ठि प्रकाशित करी हती. तेमां प्रकाशक लखे छे के–
यह चिठ्ठि कितनी
महत्वपूर्ण हैं इसको प्रेमी पाठक स्वयं अवलोकन करके जान सकेंगे। परंतु यहां
हम ईतना अवश्य कहेंगे कि, यदि इसी तरहकी कोई प्राचीन विद्वानकी कृति
आज युरोपादि देशोमें किसीको प्राप्त होती तो सारे देश और समाचारपत्रोमें धूम
पड जाती।
” पचास वर्षथी प्रसिद्ध थई होवा छतां आ चिठ्ठि विशेषप्रचारमां आवी न
हती, पण हवे पू. गुरुदेवे त्रण वखत एना उपर प्रवचनो करीने एनो महिमा प्रसिद्ध
कर्यो छे, अने एना रहस्यने खुल्लुं कर्युं छे.
ए रहस्यपूर्ण चिठ्ठिना विद्वान लेखक पं. श्री टोडरमल्लजीनो टूंक परिचय अहीं
अनेक शास्त्रोना रहस्यनी मेळवणी करीने ‘मोक्षमार्ग प्रकाशक’ जेवा शास्त्रनी
जेमणे रचना करी ते पं. श्री टोडरमल्लजीए शिथिलाचार सामे नीडरपणे पडकार करीने,
आध्यात्मिक आंदोलन वडे तथा महान विपुल साहित्यरचना वडे जैनसमाजमां क्रान्तिनुं
मोजुं फेलाव्युं हतुं. गृहस्थी होवा छतां जैनसमाजमां तेमनुं स्थान एक आचार्य समान
गणवामां आवे छे. तेमनो जन्म विक्रम सं. १७९७मां जयपुरना गोदिका–परिवारमां
थयो हतो. पिताजीनुं नाम जोगीदास अने माताजीनुं नाम रंभादेवी. तेमनो परिवार
ढोलाका परिवार तरीके विख्यात हतो. आज पण जयपुरमां तेमना वंशमां श्री
छगनलालजी लादूलालजी ढोलाका छे. तेमना शिक्षागुरु श्री बंशीधरजी हता–जेओ
मैनपुरी (आग्रा) थी जयपुर आवीने रह्या हता. पंडितजी असाधारण प्रतिभाशाळी
हता, नानी उमरमां ज तेमणे घणुं अध्ययन कर्युं हतुं. सं. १८११ना माह वद पांचमे
ज्यारे तेमणे मुलतानना साधर्मी भाईओ उपर अध्यात्मचर्चाथी भरपूर चिठ्ठि लखी
त्यारे तेमनी उमर केटली हती?