Atmadharma magazine - Ank 262
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 9 of 37

background image
: : आत्मधर्म : श्रावण :
मोक्ष अने मोक्षनुं कारण–ए बंने
शुद्ध आत्मानी उपासनाथी ज थाय छे
(कलशटीका–प्रवचन)
हे मोक्षार्थी! मोक्षने अर्थे तुं तारा शुद्धात्मानी ज उपासना कर,
एटले के तेनो ज अनुभव कर. जेम मोक्ष रागरहित छे तेम तेनो मार्ग
पण रागरहित छे, तेमां रागनो के परनो सहारो जरा पण नथी.
शुद्धआत्माने जे नथी जाणतो ते मोक्षने पण खरेखर ओळखतो नथी.
शुद्धआत्माने अनुभवमां जे उपादेय जाणे छे तेणे ज खरेखर मोक्षने
उपादेय कर्यो छे, केमके मोक्ष अने मोक्षनो मार्ग तो शुद्धात्माना सेवनमां
ज छे.–ए वात समजावे छे:–
एव ज्ञानघनो नित्यधात्मा सिद्धिमभीप्सुभिः।
साध्यसाधकभावेन द्विधैकः समुपास्यताम्।।
प्रथम तो मोक्षार्थीजीवनी वात छे; जे मोक्षार्थी छे तेणे शुं करवुं मोक्ष ज जेने प्रिय
छे, मोक्ष ज जेने उपादेय छे एवा जीवने पोतानुं शुद्ध चैतन्यद्रव्य ज सदा अनुभववा
योग्य छे, ते ज सर्व प्रकारे उपासवायोग्य ने सेववायोग्य छे. शुद्ध आत्माना अनुभवथी
मोक्ष थाय छे. तेमां कोई बीजानो सहारो नथी. शुद्धात्माने जे उपादेय करे तेने ज मोक्ष
उपादेय थाय छे, शुद्ध ज्ञानपुंज आत्माने जे नथी ओळखतो ते शुद्धदशारूप मोक्षने पण
खरेखर नथी ओळखतो. मोक्षमार्गने उपासवो होय तो हे जीवो! शुद्ध आत्मानी सम्यक्
उपासना करो. तेनी उपासनाथी साधकपणुं अने सिद्धपणुं थाय छे.
रागरहित एवी जे मोक्षदशा, ते रागना सेवन वडे केम थाय? रागने जे
मोक्षदशानुं साधन माने छे तेणे रागरहित मोक्षदशाने ओळखी नथी. मोक्ष रागरहित छे
तो तेनुं साधन पण रागरहित ज होय; आत्मानो जे शुद्धस्वभाव तेनी रागरहित
उपासना ते ज मोक्षनुं साधन छे. मोक्ष ते रागरहित शुद्धदशा, ने तेनुं साधन पण
रागरहित शुद्धदशा, ए बंने दशा शुद्ध आत्मस्वभावने उपादेय करीने तेने उपासवाथी
ज थाय छे. आ रीते आत्मा पोते पोतामां ज साधक ने साध्य भावरूपे परिणमे छे,
तेथी मोक्षने माटे बीजा कोई द्रव्यनो सहारो नथी; शुद्धात्मानो अनुभव करतां मोक्षमार्ग
अने मोक्ष थई जाय छे.