Atmadharma magazine - Ank 263
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: भादरवो : आत्मधर्म : २१ :
प्रश्न:– आपे स्वानुभवने मोक्षमार्ग कह्यो, तो एटलो ज मोक्षमार्ग छे? के बीजो
उत्तर:– मोक्षने माटे आ एक ज मार्ग छे, ने बीजा कोई प्रकारथी मोक्षमार्ग
भाई, तारुं ध्येय तो लक्षमां ले....ध्येय साचुं हशे तो ते तरफनो पुरुषार्थ उपडशे.
ध्येय ज खोटुं हशे तो साचो पुरुषार्थ क््यांथी आवशे? विकल्प अने व्यवहारना आश्रये
मोक्षमार्ग छे ज नहि, शुद्धात्मानो आश्रय करवो ते एक ज मोक्षमार्ग छे. जे विकल्पने–
व्यवहारने–रागने मोक्षमार्ग माने ते विकल्पना ज अनुभवमां अटकी रहे, पण तेनाथी
आघो जईने शुद्धात्माने अनुभवे नहि, एटले शुद्धात्मानी साध्यसिद्धि तेने थाय नहि.
शुद्धात्मानी अनुभूति ते ज मोक्षमार्ग छे–एम मार्ग नक्की करे तो ते तरफनो सम्यक्
पुरुषार्थ उपाडीने साध्यनी सिद्धि करे. आ रीते ज साध्यनी सिद्धि छे,–बीजा प्रकारे
साध्यनी सिद्धि नथी.
इतना ही मोक्षमार्ग है आटलो ज मोक्षमार्ग छे, एटले के आ ज
मोक्षनी ठंडी हवा
गीष्मना तीव्र तापथी संतप्त जीव सरोवरना किनारे जाय छे
त्यां तेने ठंडी हवा आवे छे ने खातरी थई जाय छे के हवे पाणी
नजीकमां ज छे.....तेम संसारभ्रमणना तीव्र दुःखथी संतप्त थयेला जे
जीवने आत्माना धर्मनी खरेखरी रुचि थई तेने अंतरथी अपूर्व
शांतिना भणकार आवे छे, मोक्षनी नीकटतानी हवा आवे छे, कदि
नहि अनुभवेली एवी शांति तेना परिणाममां वेदाय छे अने हवे
मोक्ष नजीकमां ज छे–एम तेने निःसंदेह खातरी थई जाय छे.