Atmadharma magazine - Ank 263
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: भादरवो : आत्मधर्म : प :
मोह जल्दी तूटे–एवो उपदेश
पोताना शुद्धआत्माने जाणीने मोह केम तूटे–एवी जेनी जिज्ञासा छे ने बीजी
अप्रयोजनभूत बाबतोमां जेनुं लक्ष नथी एवा शिष्यने शुद्धतत्त्वनो उपदेश आपे छे.
(परमात्मप्रकाश–प्रवचन)
हे प्रभाकर भट्ट! एटले के हे मुमुक्षु! जेवा अनंत चतुष्टयस्वरूप परमात्मा छे
तेवो ज हुं छुं–एम निश्चय करीने, तुं बधा विकल्पो छोडीने केवळ परमात्मानुं ज ध्यान
कर. निःसन्देह थईने, स्वदेहमां ज शुद्धआत्मा वसे छे–तेनो निश्चय करीने, तेनुं ध्यान
कर.–एथी शीघ्र तारो मोह तूटशे. ने परम आनंद तारामां ज अनुभवाशे.
तारी केवळज्ञानादि पर्यायोनो संबंध तारा गुणोनी ज साथे छे, परनी साथे
तारी पर्यायनो संबंध नथी. जो तारी पर्यायनो संबंध पर साथे होय तो गुण–गुणीनी
एकता तूटी जाय. पण गुण–गुणीनी एकता कदी तूटे नहि. जेम आत्माना गुणो परना
आश्रये कदी न होय, तेम गुणनी पर्याय पण परना आश्रये कदी न होय, एवो स्वभाव
छे. ‘कारणसमयसार’ एटले रत्नत्रयस्वरूप जे शुद्धआत्मा तेनी भावना करवाथी ज
केवळज्ञानादि चतुष्टयरूप कार्यसमयसार प्रगटे छे.
अहा, अंतरमां ज परमात्मवस्तु पडी छे. पण जीवे कदी अंर्तद्रष्टि करीने तेनुं
ध्यान कर्युं नथी, परभावो वगरनुं पोतानुं शुद्धतत्त्व कदी लक्षमां लीधुं नथी. तेथी अहीं
तेनो उपदेश आपे छे. शिष्ये पूछयुं हतुं के हे स्वामी! मोह शीघ्र तूटे एवो उपदेश मने
आपो. बीजानुं मारे कांई प्रयोजन नथी, मारा शुद्धआत्माने हुं जाणुं ने मारो मोह जल्दी
तूटे एवो उपदेश मने आपो.
जुओ, आ शिष्यनी जिज्ञासानो प्रश्न! शुद्धआत्माने जाणवा सिवाय बीजुं
प्रयोजन जेना चित्तमां नथी, तेने अहीं समजावे छे के जेवा परमात्मा सिद्धलोकमां वसे
छे तेवो ज परमात्मा अहीं आ देहमां वसे छे, जेवा परमात्मा छे तेवो ज परमार्थे हुं छुं,
एम निःसन्देह निश्चय करीने हे जीव! तारा आत्माने तुं ध्याव. पर साथे संबंध छोड ने
स्व साथे संबंध कर, एटले के परिणतिने अंतरमां वाळ; आ रीते परिणतिने अंतरमां
वाळतां ज तारो मोह तूटी जशे, ने परम आनंदमय आत्मा तारामां ज तने देखाशे.
अहीं कहे छे के शुद्ध परिणतिथी अभेद एवा शुद्धआत्मानी निरन्तर भावना
करवा जेवी छे. परभावनी भावना एक क्षण पण न कर, पुण्यनी के तेना फळनी
भावना एक क्षण पण न कर, शुद्ध आत्मानी भावना निरंतर कर. ‘जेवी भावना तेवुं
भवन’ एटले शुद्धात्मानी भावनाथी शुद्धतारूप परिणमन थाय छे.