Atmadharma magazine - Ank 265
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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नमः श्री वर्द्धमानाय निर्धूत कलिलात्मने।
सालोकानां त्रिलोकानां यद्विद्या दर्पणायते।।
–समंतभद्रस्वामी.
जेमने असंख्यप्रदेशे केवळज्ञान–दीपक प्रगटया छे
ने आनंदमय सुप्रभात जेमने खील्युं छे एवा
भगवान श्री वर्द्धमान जिनेन्द्रदेवने मंगलप्रभाते
परमभक्तिपूर्वक अभिवंदना करीए छीए.